तुम मेरी कहानी के सबसे खास किरदार हो
जो परीकथा मैंने जी है तुम उसके कहानीकार हो-
तुम याद ज़रूर करोगे
आज नहीं तो
कुछ समय बाद
पर याद ज़रूर करोगे।
( Read in caption)-
वो नदी की मचलती अशांत धाराओ सी
बस अपने समंदर से मिलकर ही सुकून पाती।-
वो शक़्स तो अब ज़िन्दगी में नहीं रहा पर उसके हिस्से की दुआएं आज भी है।
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हाँ वही सफर जिसकी उम्मीद खो चुके थे हम।वो उस रात खाली सड़क पर हम दोनों का हाथ पकड़ कर चलना और तुम्हारा यह यकीन ना कर पाना की हम साथ है।ऐसा लग रहा था मानो वो दुनिया ही कुछ और हैं।उस शहर से अनजान हम दोनों बेख़ौफ़ जैसे अपनी ही परिकथाओं में थे।वो अनजान रास्ते कितने अपने से लग रहे थे वहाँ हर एक पल कितना खुशनुमा सा था।वह खाली सड़के ,वो शांत सा वातावरण ,मंदिर की घंटियों की आवाज़ें हवाओ में घुल रही थी ।ठीक वैसे ही जैसे हम एक दूसरे में।
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उनकी तस्वीर के आगे रुक सी जाती हूँ
उन्हें देख कर अपने बचपन मे खो सी जाती हूँ
उनकी चेहरे की वो झुर्रियां उम्र का तकाज़ा ही नही उनके अनुभवों की निशानियां है।
उनके कमरे में रखा वो चश्मा
आज भी रखता है खबर सबकी
उनकी वो छड़ी आज भी सही राह दिखाती है।
उनकी आवाज़ की बुलंदगी आज भी टूटने पर ढाँढस बंधाती है।
रुद्राक्ष की वो माला परिवार को मिलकर रहने का सबक सिखाती है।
हां घर के उस कोने से आज भी उनकी आहत आती है
जैसे वो मुझे अपने पास बुलाएगे
राजा रानी के किस्से फिरसे सुनाएंगे
और मेरे बचपन के वापस लौट आएंगे।-
प्यार की यह कैसी अजीब कहानी है
ना कभी में समझी थी ना मुझे समझानी है
वहाँ कोई इंतज़ार में बग़ीचे सजाये बैठा है
और हम यहाँ उस मुरझाए गुलाब
का दीदार बार बार करते है।
जानते है कि अब वो नही हो सकता हमारा
फिर भी ना जाने क्यों प्यार बेपनाह करते है ।
उसकी आँखों का नशा उतारे न उतरे
जैसे जाम वो पुरानी शराब का
उसकी आवाज़ अभी भी कानो से टकरा जाती है
जैसे हवाओं की सरसराहट हो कोई
हम प्यार की दो बूंद को तरस गए
वहाँ कोई हमारे लिए बारिशें लुटाये बैठा है
हम किसी की यादों में गुम है
वहाँ कोई इंतज़ार में पलकें बिछाये बैठा है
हम चाँद के इंतज़ार में है
वहाँ कोई सितारों से आसमान सजाये बैठा है
हम यह पलके भिगाए बैठे है
वह कोई आंखों में सपने सजाये बैठा है
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कहने को तो वो इज़हार-ए-मोहोब्बत का दिन था
पर ना जाने वो दिल कबसे जुड़े हुए थे।-