नज़दीक बहुत है लोग मेरे
पर तुम जैसा अब कोई ख़ास नहीं है
खुश जरूर होते है कुछ पल के लिए
पर इन लम्हों में वो बात नहीं है.....!!-
मोह खत्म होते ही
खोने का डर भी खत्म हो जाता है
चाहें....दौलत हो
वस्तु हो रिश्तें हो या फिर , इंसान ...!!-
कर्म की गठरी लाद के जग में फिरे इंसान,
जैसा करे वैसा भरे विधि का यही विधान..!-
खुदा इस जहां से तो बरसों है रूठा
गनिमत है तुमसे तो इंसा है रूठा
दरियां की तरह जमाने के आंसू
पलकों से तेरी तो कतरा है छुटा.....!!
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ज़हर के प्याले मैं
भर कर दो आंजल ज़िंदगी
ओक लगा कर पी गया
कुछ सांसें मरने वाला
ये ज़िंदगी जो हैं मौत का छलावा ही तो हैं
छल गई तुझे भी ग़ालिब
वास्ता उम्मीद का दे कर
अब मुझ में जो रहती हैं
कुछ खामोशियां ही तो हैं बस
कभी चीख दू तो हैरान हो जाता हूं
ये आवाज़ किसकी है
ये ज़िंदगी जो है मौत का छलावा ही तो हैं....!!
:- by jai singh-
मंजिलें अलग थीं, इसलिए रास्ता मोड़ लिया हमने !
थोड़े झूठे बने , थोड़े बुरे बने ,फिर खुद को तोड़ लिया हमने
मगर कौन कहता है? कि तुमसे इश्क़ करना छोड़ दिया हमने ?-
तबाही की दहलीज पर खड़े हैं
मत पूछो मंजर क्या है.…
निकलते नहीं अब बूंद भर आंसू भी,
मेरी आंखों से ज्यादा बंजर क्या है !!-
"har husn be-misaal,ye nazara kya hai
Yahan se nikalte hain,yahan hamara kya hai?
Yahan jism se dil ,kurbaton se kurb judaa,
Hum nhi samjhtein ,ye guzara kya hai?
Gham-e-dil hi hai,ghazal sun kr so jaega
Hum nahin samjhtein,tumhara ishara kya hai?..
:- by jai singh-
जिसमे खो कर जीना बेहतर सा लगता हैं
तू न मिला न सही ये धुंध कुछ तुझ जैसा ही दिखता है-
अब जिस्म की तलब नहीं
जो रखूँ रकीब से वास्ता
तलब उस दिल की है
जिस से लगा लिया है दिल
जिस्म तो तवायफ है दिलों की सौदेबाजियों में...!!-