किसे ज़रूरत है तवज्जो की हमें तो इस सांवले रंग का गुरूर बहुत है..!! -
किसे ज़रूरत है तवज्जो की हमें तो इस सांवले रंग का गुरूर बहुत है..!!
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दास्तान-ए-इश्क़ का एक ही उसूल है तस्बीह हो या माला, सच्चे सजदे सबके क़ुबूल हैं..!! -
दास्तान-ए-इश्क़ का एक ही उसूल है तस्बीह हो या माला, सच्चे सजदे सबके क़ुबूल हैं..!!
एक पेचीदा सा सवाल है, जिसका सीधा सा जवाब है तू बेमिसाल है, या हम लाजावाब हैं और यह जो ख़ुश्क से तमाम लम्हात हैं यह तेरे शिकवे हैं, या हमारे जज़्बात हैं..!! -
एक पेचीदा सा सवाल है, जिसका सीधा सा जवाब है तू बेमिसाल है, या हम लाजावाब हैं और यह जो ख़ुश्क से तमाम लम्हात हैं यह तेरे शिकवे हैं, या हमारे जज़्बात हैं..!!
वोह आया तो नहीं था मेरा क़त्ल करने फिर यह खंजर पे धार क्यूँ बना रखी है वोह ख़ुश था मुझसे जुदा होकर, फिर यह बेज़ार हालत क्यूँ बना रखी है..!! -
वोह आया तो नहीं था मेरा क़त्ल करने फिर यह खंजर पे धार क्यूँ बना रखी है वोह ख़ुश था मुझसे जुदा होकर, फिर यह बेज़ार हालत क्यूँ बना रखी है..!!
वोह ना-समझ चल दिया उठ कर हमारी महफ़िल से यह इश्क़ है जनाब, पीठ दिखाने से अक़्सर और ज़िद्दी हो जाता है..!! -
वोह ना-समझ चल दिया उठ कर हमारी महफ़िल से यह इश्क़ है जनाब, पीठ दिखाने से अक़्सर और ज़िद्दी हो जाता है..!!
हम ना ख़फ़ा हुए, ना बेवफ़ा हुए हालात थे, ना मुख़्तलिफ़ हुए ना तरफ़दार हुए..!! -
हम ना ख़फ़ा हुए, ना बेवफ़ा हुए हालात थे, ना मुख़्तलिफ़ हुए ना तरफ़दार हुए..!!
मेरे वेहम की इन्तहा मत पूछ कि उसने ना भूलने की क़सम खायी है..!! -
मेरे वेहम की इन्तहा मत पूछ कि उसने ना भूलने की क़सम खायी है..!!
कैसी आज़माइश है मेरे मौला तूने सबकुछ देकर भी ना बख्शा मुझे ज़ुबां दी तो सफ़र ज़िन्दगी का तय हुआ ख़ामोशी पढ़ सके, ऐसा शख़्स दे मुझे..!! -
कैसी आज़माइश है मेरे मौला तूने सबकुछ देकर भी ना बख्शा मुझे ज़ुबां दी तो सफ़र ज़िन्दगी का तय हुआ ख़ामोशी पढ़ सके, ऐसा शख़्स दे मुझे..!!
तंग गलियों से होकर एक दोपहर गुज़री है तेरी याद बनकर धूप, मेरे आँगन से गुज़री है मैंने डुबोकर क़लम को तेरे नाम में एक पल लिखा था और कई सदियां गुज़री हैं..!! -
तंग गलियों से होकर एक दोपहर गुज़री है तेरी याद बनकर धूप, मेरे आँगन से गुज़री है मैंने डुबोकर क़लम को तेरे नाम में एक पल लिखा था और कई सदियां गुज़री हैं..!!
ना जाने कब जूनून-ए-इश्क़ नमक की सूरत हो जाए चुटकी भर स्वाद, मुट्ठी भर, ज़हर हो जाए और उसके कहने से रोक रखा है एक शाम को वरना ना जाने किस मोड़ पे रात हो जाए..!! -
ना जाने कब जूनून-ए-इश्क़ नमक की सूरत हो जाए चुटकी भर स्वाद, मुट्ठी भर, ज़हर हो जाए और उसके कहने से रोक रखा है एक शाम को वरना ना जाने किस मोड़ पे रात हो जाए..!!