इस दुनिया में कुछ लोग अपने आप पर इतना विश्वास करने लगते है की उन्हें लगता है की उनकी सोच से बेहतर कोई सोच हो ही नही सकती। कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते है जो किसी की प्रशंसा में कोर - कसर नही छोड़ते, वस्तुस्थिति की सत्यता है या नहीं, इससे उन्हें कोई वास्ता नहीं, उन्हें तो अपने अहम् को पुष्टि करना है, यह काम व्यक्ति अपने थोड़े से लालच के लिए करता है।
- मां, तुम क्यों रोती हो?, चार बिस्वा जमीन, दिनेश चंद्र शर्मा
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