I didn't understand the Beauty of Dead,
Until I found something Dead Inside.-
Shivangi Verma
(Shivangi❣)
405 Followers · 20 Following
शायद फिर कभी लिखूं,
शायद फिर कभी ना लिखूं।
शायद फिर कभी ना लिखूं।
Joined 4 April 2017
4 JUN 2020 AT 11:28
18 MAY 2020 AT 13:13
Maybe it's a cycle of
valuing things/people when we lose them.
First, we don't value what we have.
Then we cry for what we lost and forget to value what we have.
The cycle goes on and on.
-
4 MAY 2020 AT 12:43
धूप मिले तो छांव तलाशते है,
हम इंसान भी ना
शहर आकर गाँव तलाशते है।-
26 SEP 2018 AT 21:35
उम्मीद तो है
मग़र इंतज़ार नहीं,
रौशनी तो है
मग़र सुबह की आस नहीं,
ये आसमाँ भी तो कुछ खाली सा है
बिल्कुल मेरे मन की तरह।।-
23 AUG 2018 AT 14:42
हर रोज सोचते है
आज एक नया ख़्वाब बुनेंगे,
मग़र रात बीत जाती है
कुछ पुराने ख़्वाब
बुनते, उधेड़ते।-
7 JUL 2018 AT 22:35
उसके जाने का यूँ गम ना कर,
कई दफ़े लोग
अधूरा छोड़कर मुक़म्मल कर जाते है।-
4 JUL 2018 AT 22:00
अक्सर
लोगों की नींद बसी होती है,
मगर मेरी तो दुनिया ही बसी है उस
तकिए तले
जहाँ मैंने तुम्हारे ख़्वाब सज़ा कर रखे है।-