SHIVANGI RAI   (शिवांगी राय "शिवकृति")
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Joined 8 August 2024


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2 AUG AT 13:56

उसने मन भर प्रश्न किया,
कभी हँसती...
कभी झूठ-मूठ का ग़ुस्सा करती ।

फिर, उसने उसकी नर्म हथेलियाँ
अपने हाथों में लीं,
आँखें अनायास ही सजल हो गईं ।
वो बस इतना ही कह पाया -

"मैं दर-बदर ढूँढता रहा तुमको,
हाँ, प्रिय! तुम मिलीं मुझे,
मेरे भरे हुए मन के
खाली आकाश में !"

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31 JUL AT 0:07

किताबी ज्ञान,
सदा ही ज्ञानी बनाता है ।
पर वास्तविक कार्य का ज्ञान,
सदा ही जीवन में कार्यकुशल बनाता है ।

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27 JUL AT 20:22

दुनिया कहती है,
टूटे नल से टपकता पानी
नीरस होता है ।
तो मैं सोचती हूँ,
जो आँखें हर रात
तिनके से ख्वाब बुनती हैं
और हर सुबह
भारी होकर उठती हैं,
इन आँखों से बहते अश्रु
ब्रह्मांड में
कहाँ तक नीरसता फैलाते होंगे ?

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16 JUL AT 12:13





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12 JUL AT 0:11

इतना पास आके कोई बिना चूमें जाता है क्या ?
ऐसे अचानक पास आके दिल धड़काता है क्या ?
तेरी साँसों की खुशबू अभी तक लिपटी है मुझमें,
बता, यूं बेवजह कोई इतना शरमाता है क्या ?

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11 JUL AT 12:39

आया सावन,
झीलों में तरंग है,
हवा में तकरार है,
दिल ने हर धड़कन से
तुझसे इज़हार किया बार-बार है!

काजल की लकीरों में,
सपनों की कतार है,
तेरे ही ख्यालों में
हर शाम बेशुमार है!

बागों में बहार है,
कलियों की पुकार है,
आओ न, साजन
तुम्हारा इंतज़ार है!

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9 JUL AT 10:43

वो कहते हैं...
यूँ उदास न हुआ करो,
एक ज़माना डूबने को है ।
तुम्हारी आँखों की नमी भारी है,
और समुंदर सूखने को है ।

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8 JUL AT 19:19

मेरे होंठों की नर्मी को
तुमने ऐसे छुआ,
जैसे पहली बूँद ने
खामोश गुलाब को छुआ ।

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5 JUL AT 14:50

पहली बार जब मिले थे,
तो कुछ अजनबी से थे,
अब अजनबियों में भी,
उनकी झलक मिलती है।
.
बातें कम हुईं,
नज़रें ज़्यादा मिलीं,
इश्क़ कब हुआ,
हमें ख़बर ही न लगी।

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30 JUN AT 21:12

मैं भी अक्सर तेरी यादों की जिल्द चढ़ा देती हूँ,
वो पुराने खत, सूखे फूल सब संभाल लेती हूँ।
जिन पन्नों पे तेरा नाम लिखा था कोनों में,
उन्हें बार-बार पढ़कर फिर से मोड़ देती हूँ।

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