SHIVANGI RAI   (शिवांगी राय "शिवकृति")
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Joined 8 August 2024


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7 OCT AT 22:25

ना तन्हा रही, ना आबाद हूँ,
तेरे बाद बस एक याद हूँ ।
लबों पे हँसी, आँखों में नशा,
मैं दुनिया के लिए आबाद हूँ ।

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5 OCT AT 20:39

हमारा मिलना शायद
विषाद के उन क्षणों का
प्रतिफल रहा होगा,
जिनमें हमारे अश्रुओं ने
निर्वाक होकर
सीधे ईश्वर के हृदय को
अर्पित होना चुना !

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30 SEP AT 10:28

जीवन की परिस्थितियाँ भले साधारण हों,
लेकिन असली क़ीमत इस बात की है
कि तुम उनसे क्या रचते या बनाते हो।

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26 SEP AT 14:19

और सबसे अधिक,
मैं खुद को माफ करती हूँ
कि मैंने प्रेम में खोकर
अपने अस्तित्व को भुला दिया।

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25 SEP AT 0:02

किताबें बताती हैं ज़िन्दगी के उसूल,
पर उसने ज़िन्दगी जीना सिखाया है..!

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22 SEP AT 22:30

जनसत्ता और कलमकार

कलम से कितनी सुंदर कल्पनाएं रचते हो,
उतने ही सुंदर कसीदे पढ़ते हो...
लिखते-लिखते उसे जाने कहां तक सच करते हो ।
जिस दिन कलम पे सरस्वती विराजित हो जाएंगी
तब तुम पूरा साम्राज्य तो न लिख लोगे !

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20 SEP AT 22:17






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14 SEP AT 16:55

जब गढ़ने लगूँ तुम्हारी मानिंद कृतियाँ,
समा सकूँ उनमें तुम्हारी सारी स्मृतियाँ ।
तो कहना बहुत सिद्धहस्त हूँ मैं,
कहीं भ्रम तो नहीं, बहुत प्रसिद्ध हूँ मैं !!

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7 SEP AT 20:22







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6 SEP AT 20:41

संसार भर की समस्त प्रार्थनाओं में,
सबसे शुद्ध प्रार्थना है
तुम्हारे प्रेम में ली गई मेरी सांसे
और तुम्हारी उन्नति हेतु
धड़कती मेरी धड़कनें ।

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