'क़ाफ़िर'
एक दिन जब लौटा वो
धूप में भीगते अपने एकांत से,
तो सबने टोका -
"कभी तो ईश्वर को याद किया कर !"-
🎂24 july
"Ink bleeds, heart speaks."💞
Words tha... read more
गहराती है
रात तो घूँघट से
झाँकता चाँद !
अलसाई सी
यादों भरी बासंती
में नम शाम !
समेटकर
बिखेरती है लाली
प्रेम पुरवा !-
रो पड़ती तो क़लम ख़ून रोती आज,
हर अक्षर में छुपा कोई रुदन कहती आज।
कुछ करती या नहीं
ये सवाल भी शर्मिंदा है,
भाईचारे की गाथा भी
कहीं गुमशुदा जिन्दा है।
थूक पाती तो क़लम
इंसानियत पर थूक देती आज।
संवेदनाएँ भी मर चुकी हैं
रहम की कोई बात कहाँ आज ?
भीड़ में खो गया इंसान,
चेहरों पर नकाब, दिलों में तूफ़ान।
कोई चीखता है चुपचाप,
तो कोई हँसता है लाशों के ख़्वाब।
ये ज़माना पूछे क्या हुआ
बोलो न क्या हुआ तुम्हारी रूह को ?
क्यों मर गया वो जो तुझमें
जीता था कभी बेहिसाब ?-
"पहला चुम्बन"
हौले से जो लब छू गए,
सांसों में साज़ बजा कोई,
धड़कन की रफ़्तार बढ़ी,
मन में एहसास जगा कोई,
पल भर का वो जादू था,
या उम्रभर की सजा कोई ?💕-
बिस्तर पर आधी नींद में,
मेरी बालों की उलझी हुई लटें,
बिना कुछ कहे, हाथों के स्पर्श बिना,
बस एक हल्की सी फूंक से,
चेहरे से हटाते हुए जो संतुष्टि
महसूस की मैंने उसकी सांसों में,
शायद उससे कम ही महसूस करता है
वो अपनी चाय के साथ।❤-