रास्ते पर कि वो अब तक की सबसे अच्छी एक कुल्हड़ वाली चाय,
रेडियो पर यूं सुनते-सुनते आया एक भुला बिसरा गाना,
भीड़ में अनजानों की किसी एक पहचाने चेहरे का मिल जाना,
तपती गर्मी में कहीं से अचानक आया हुआ एक हवा का झोंका,
छत पर पुराने किसी दोस्त के साथ सालों बाद बिताई गई एक शाम,
स्टेशन पर घंटों से रुकी हुई ट्रेन का आखिरकार चल देना,
पन्ने पलटते हुए किसी पुरानी किताब का फुर्सत में लिखा एक मिसरा मिल जाना,
जाते हुए उठ कर किसी का हाथ पकड़ कर एक बार फिर बैठा लेना,
दूर जाने पर गले लगाकर किसी की आंखों से निकला एक आंसू,
बाहर निकलने से पहले मां का एक बार माथा चूमना,
और बस गमों के सारे पलों पर खुशी के किसी एक लम्हें का यूं भारी पड़ जाना।।।
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