Shivangi Dixit   (Shivangi Dixit)
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Instagram: @findding_myself
Joined 3 January 2020


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Joined 3 January 2020
25 OCT 2022 AT 21:43

तू सच में इतना सच्चा है?
या ये मिठास बस मेरे लिए है?
हर रौशन चेहरे पर फिदा है तू?
या ये एहसास बस मेरे लिए है?
हर शक्श से बयां करता है क्या?
हाल - ऐ - दिल और राज़ ?
या ये दिल हुआ मासूम बस मेरे लिए है?
हर्फ भी सच्ची है क्या बातें तेरी
या ये बातों का जाल भी मेरे लिए है ?
मैं ज़िद हू ? इश्क हूं?
या महज़ दो पल की चाहत?
जानना है मुझे, मैं क्या हूं?
तेरा सुकून, चैन ,या राहत?

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21 OCT 2022 AT 20:40

Do you Remember??

When you're tiny
Baby steps eyes shiny
Wanted to fly & fairy wings
To give that feel
I gave you swings
Do you remember?

The food, breath & bond
we then share
And loosing you
was such a nightmare
Do you remember??

When you got anxious by studies
It was me,who gave you cool breeze
U were never here for me
But i always loved your company
Do you remember?

In the Lieu of all my love
How cutting me came in your mind?
Didn't your heart wrenched once
To be a little more kind?

Oh! Now don't be scared
I can't give you misery
I'm not a human after all
I'm just a generous old tree.

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31 AUG 2022 AT 21:32

अब सामने डगर है
तो जाना तो है,
कुछ अंधेरा मगर है
पर जाना तो है,
खुद पर यकीं ही
रौशनी है तेरी,
डराने को फिर ये
जमाना तो है,
मंजिल मिली न मिली
ये बहाने है साहब,
अब मुक्कदर जो रूठा
मनाना तो है,
अब सामने डगर है
तो जाना तो है।।

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28 AUG 2022 AT 10:16

सोचती हूं,
जिस प्रकार लेखक मोड़ देता है
अपने पात्रों के भाग्य को,मनचाही दिशा में
कहानी को रोचक बनाने को
तैराता है उन्हें दुखों के समुद्र में
उनका चरित्र , और निखर जाने को
क्या मैं भी एक ईश्वर रचित पात्र ही हूं ?
इस विशाल मंच पर अंश मात्र ही हूं...
सोचती हूं..........

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18 JUN 2022 AT 19:38

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14 JUN 2022 AT 20:43


मेरी भी किस्मत का तारा
कुछ तो नायाब रहा होगा
ऐ खुदा! अब तूने दिया
तो इस दर्द का भी
कुछ तो हिसाब रहा होगा।

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26 MAY 2022 AT 14:58

हर रोज भेजती तो हूं
रूह अपनी, तेरा प्यार पाने को
तू ही तो पितृसत्ता का ताबीज़ पहनें बैठा है
कमबख्त दुनिया में रौब जमाने को,

हर रोज भेजती तो हूं,
रूह अपनी, तुझमें समां जाने को
पर नशे में दिखता , बस शऱीर तुझे
बेझिझक अपनी प्यास बुझाने को

हर रोज़ भेजती तो हूं
रूह अपनी....

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24 MAY 2022 AT 19:45

तू खुद मेरा ख़ुदा है
मुझे उस रब से क्या शिक़वा
खुद से ज्यादा तेरी हूँ मैं
ख़ुदा का भी मुझपे है,हक़ क्या....

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16 MAY 2022 AT 1:46

मेरा रब मुझसे रूठा सा लगता है,
हर ख़ुशी का लम्हा भी, अब झूठा सा लगता है,
आहट रहती है, किसी तकलीफ़ की हरदम,
अब दर्द से रिश्ता कुछ, अनूठा सा लगता है।

मेरा रब मुझसे रूठा सा लगता है।।

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16 MAY 2022 AT 0:34

जब भी सफ़र में होती हूं
तुझे साथ रखतीं हूं
दिल में तेरी तस्वीर तो
होंठों पर तेरी बात रखतीं हूँ
हां, थक जाते है हमसफर
तेरा ज़िक्र सुन सुन कर,
पर,लम्हों में,शामिल कर तुझे
ख़ुद का जहाँ शाद रखतीं हूं

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