Shivangi Chandra   (ᴛʜᴇ ꜱʜɪᴠᴀɴɢɪ ᴄʜᴀɴᴅʀᴀ)
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Joined 13 June 2018


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Joined 13 June 2018
26 DEC 2023 AT 20:03

रात बहुत ठंडी है
सर्द मौसम आ गया क्या
ख़ामोशी पिरो रही वो
फिर से दिल चोट खा गया क्या
उजाला देख घबरा रही
अंधेरे की उसे आदत हो गई क्या
हाथ बढ़ाओ तो पीछे हटती है वो
लगता है साथी के साथ से घबरा गई क्या
चोट खाने के बाद भी आंसू नही आए
लगता है फिर से पत्थर दिल हो गई क्या
अब नही घबराती अकेले रह जाने से
लगता है अब बड़ी हो गई है वो

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5 DEC 2023 AT 2:24

जिंदगी की एक नई कहानी लिखी थी ये सोचकर
शायद वो मेरे मझधार का माझी बने
कभी सोचा भी नही था, जिसे हमने हमसफ़र चुना है,
वही पल पल मेरे हर एक दुख का कारण बने

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19 NOV 2023 AT 5:53

चाहत में हम तभी तक बर्बाद थे
जब तक हम तुम्हे चाहते थे
दिल का जख्म कुछ इस तरह गहरा हुआ की
हम अब इश्क़ से पूरी तरह आबाद है

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22 OCT 2023 AT 5:24

कुछ ज़ख्म को मरहम की जरूरत नही पड़ती
वक्त के साथ वो अपनेआप भर जाया करते है

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9 OCT 2023 AT 14:55

जैसे कभी कभी जिंदगी मुश्किल
और मौत आसान लगती है
वैसे ही कभी कभी साथ से बेहतर
अकेलापन लगता है

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31 AUG 2023 AT 9:07

ना दिखने वाली वो अटूट डोर,
जिसे रब ने भी अपनी कलाई पर बाँधी है,
बहुत नाज़ुक है वो डोर जिसने,
दूर से भी सारे रिश्तों को जोड़ा है,
बचपन की यादों से हर बहन की आँखें खुशी से नम हैं,
जो आज पास हैं, उन भाइयों को भी,
और जो दूर हैं, उन सभी को शत - शत नमन है।

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26 AUG 2023 AT 6:45

आज मेरी खुशियों का ठिकाना नही
कैसे छुपाऊ, मेरे पास कोई बहाना नही
जिंदगी में वो अब ना ही सही
फिर भी उनकी छलक पाना, जन्नत से कम नही

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25 AUG 2023 AT 22:46

उम्मदे मुकमल हो रही है
बेसब्री को अब राहत सी हो रही है
समझो तो कुछ पागलपन सा है मुझमें
क्योंकि बिन पिए लेखनी बहक रही है

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3 AUG 2023 AT 18:41

अब मेरे अपनो को ही मुझसे इतनी शिकायते है की
महादेव की दी ये जिंदगी भी अब श्राप सी लगने लगी है

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29 JUL 2023 AT 18:15

हम अब नफरत की आग में कुछ इस तरह जल रहे है
की खुद को पता ही नही चल रहा है,
जिंदगी भी जी रहे है या सिर्फ मौत की तरफ बढ़ रहे है

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