आहिस्ता आहिस्ता मिट रहा हूं तुम्हें याद करके तुझे ही मांगता रहता हूं खुदा से फरियाद करके कुछ देर के लिए ही लौट आ मेरी जिंदगी में सिसक रहा हूं कई दिनों से चली जा मुझे बर्बाद करके
हर रोज फिदा होती है हर रोज जुदा होती है सुना है उसे अब हर रोज मोहब्बत होती है कभी झुके हम इश्क में कभी झुके हम सजदे में अब नजरें झुक जाती हैं हर रोज इबादत होती है भूल गए सब तौर तरीके कैसे इश्क निभाए यार अब तो सिर्फ जुबां पर है कि हर रोज जरूरत होती है