मैं कहता तो बहुत कुछ हूँ तुमसे,
मग़र क्या तुमने कभी मुझे सुना है?
ख़ुशी में किलकारियाँ भरते देखते हो मुझे,
मग़र क्या मेरी ख़ामोश चीख़ों को सुना है?
महफिलों की रौऩक बनते देखा होगा मुझे,
मग़र तन्हाई में दफ़्न मेरी सिसकियों को सुना है?
चाँद की चन्द्रिका सी रौशन जिंदगी देखी है मेरी,
मग़र स्याह रातों में पसरे मेरे सन्नाटे को सुना है?
मैं कहता तो बहुत कुछ हूँ तुमसे,
मग़र क्या तुमने कभी मुझे सुना है?
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