तारीफों में उसकी शाम गुज़र जाये
बेचैन दिल उसी के नाम गुज़र जाये....!
बैठा रहूं मैं उसके दर पे सदा
वो इक नज़र प्यार से देखे तो चारों धाम गुज़र जाये....!!
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I need somebody who can love me at my worst
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एक नास्ते की दूकान थी मेरे घर के पास की
जहां मिली थी पहली दफ़ा लकीरें हमारे हाथ की!
सब तो दे दिया तुमने इस साल भर के रिश्ते में
बस एक ही ख्वाहिश है उम्र भर तुम्हारे साथ की!
मुकम्मल तो हम हो चुके काबिल खुद को बनाना है
फिर मिन्नतें करनी है घरवालों से रिश्ते की बात की!
इश्क बेइंतहा है तकरारें बहुत ज्यादा है
लौट आते हो हर बार भूल बातें पिछली रात की!
भरोसे कि नींव पर टिकी है इमारत हमारे प्यार की
यकीं नहीं होता आज सालगिरह है हमारे मुलाकात की!!
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कितना मासूम है चेहरा उनका,
क़त्ल भी करते हैं तो कातिल नहीं लगते!!
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ऐसा क्यों होता है??
हमेशा ही ऐसा क्यों होता है
सच्चा प्यार ही रूसवा क्यों होता है?
इश्क की इबारतों में दर्ज दास्तानों में
मजनू,लैला से जुदा क्यों होता है?
समाज की बंदीशों ने मोहब्बत के पर कतर डालें हैं
दो दिलों का कत्ल कर इन्हें गुमान क्यों होता है?
साजिशों में उलझ दम तोड़ देते हैं रिश्ते
कोई शख़्स बेवफ़ा क्यों होता है?
दो पल गौर से देख लें तो मदहोश हो जाएं
ये आंखों में इतना नशा क्यों होता है??
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रात को अंधेरों ने जकड़ रखा है
फ़क़त रौशनी को हर रोज़ तरसते हैं!!
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इश्क़ महबूब की नीयत नहीं देखता
जान वार दें हम उनके इक इसारे पे!!
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हजारों दफ़ा फरमा चुके हैं तुमसे
फ़िर भी लफ्ज़ ए वफ़ा है की भूलाई नहीं जाती!!
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हम छलक के बोतलों से उतर आए
ज़माना लगा है हमें शराबी बनाने को!!
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वक़्त के साथ गुजरती जिंदगी के हिस्से बदल जाते हैं
लफ्ज़ ए वफ़ा की सरगम से कई बेजान किस्से बदल जाते हैं....!!
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क्यूं है, कैसे है, किसलिए है
ये जिंदगी सवाल बन चुकी है
रिश्ते बचाते-बचाते हम
खुद की self respect ही खो बैठे
गलती किसी की भी हो ग़लत हम हीं होते हैं
रोज़ किसी को याद कर सोते हैं
क्यूं है, कैसे है, किसलिए है
ये जिंदगी में इतने सवाल किसलिए हैं??
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