आजकल तुम्हारे बिना मुझे
कुछ भी अच्छा नहीं लगता है
जिधर भी देखु एकलौता मुझे
तुम्हारा ही चेहरा नजर आता है।
तू न दुनिया सी बन गयी हो मेरी,
बस गुजारिस है तुमसे
की तुम दुनिया की तरह न हो जाना।
ठहरी हुयी सी मेरी
एक शाम हो गए हो तुम
बस गुजारिस है तुमसे
की तुम कहि ढल मत जाना
क्योकि तुमसे आगे मैंने
देखना अब छोड़ दिया है
तुम तक ही है मेरा अब जो भी है
बिन तुम्हारे भी चलना
मैंने अब छोड़ दिया है-
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आजकल तुम्हारे बिना मुझे
कुछ भी अच्छा नहीं लगता है
जिधर भी देखु एकलौता मुझे
तुम्हारा ही चेहरा नजर आता है।
तू न दुनिया सी बन गयी हो मेरी,
बस गुजारिस है तुमसे
की तुम दुनिया की तरह न हो जाना।
ठहरी हुयी सी मेरी
एक शाम हो गए हो तुम
बस गुजारिस है तुमसे
की तुम कहि ढल मत जाना क्योकि
तुमसे आगे मैंने देखना अब छोड़ दिया है
तुम तक ही है मेरा अब जो भी है
बिन तुम्हारे भी चलना
मैंने अब छोड़ दिया है-
आप जितना समझते हो
उतना बुरा भी नहीं हूं मैं
बस कुछ देर के लिए उलझा हुआ हूं अपनी जिंदगी में
पर इतना बुरा भी नहीं हूं मैं।
हां माना ग़लतियां बहुत करता हूं
और समझ भी नहीं पाता के गलती हुई,
पर वो मेरी नजरअंदाजी नहीं
थोड़ी वक़्त की उलझन है क्यूंकि
इतना बुरा भी नहीं हूं मैं।
हां थोड़ा उलझ सा गया हूं,
थोड़ा टूट सा गया हूं
वो क्या है लड़ाई अकेले लड़ता आया हूं ना
थोड़ा बिखर सा गया हूं मैं
अब आप मिल गए तो थोड़ा आपसे लड़ लेता हूं,
पर इतना भी बुरा नहीं हूं।-
मैं वो बर्बाद लड़का हूं जो हर किसी को
खुश रखने के चक्कर में अपनी बेज़्जती
करवा लेता हूं...-
मेरी खामोशी देखकर मुझसे ये जमाना बोला कि...!! तेरी संजीदगी बताती है तुझे हँसने का शोक था कभी...!
-
तेरी कोशिश ही कामयाब होगी।
फिर जिंदगी की राह आसान होगी।
बंदे एक ऐसा जुनून खुद मे रख।
फिर तेरी मंजिल से मुलाकात होगी।
मंजिले तो तुझे खुद सलाम करेगी।
न चाहकर भी दुनिया तेरे कदमों मे झुकेगी।
हर राह पर यही याद रखना दोस्त।
तेरी कोशिश ही कामयाब होगी।-
मुझे क्यूँ आपने देवी से औरत बना दिया.
सारा वो सम्मान मिट्टी में मिला दिया.
जो पूजते थे अब वो गंदी नज़रों से घूरते है मुझे.
जो कभी भोग लगाया करते थे वो अब भोगते है मुझे.
पहले पाप नाशणी थी मैं अब मुझे ही पापी बना दिया जाता है.
जितनी भी मुश्किलें आती है मुझे ही सबका ज़िम्मेदार ठहरा दिया जाता है.
कुछ अच्छा हो तो लोग उसका मोल ले लेते है.
कुछ गलत हो जाए तो सारा बोझ दे देते है.
मैं तो जग जननी थी आज भी जननी ही हूँ.
मैं जग तरणी थी आज भी जग तरणी ही हूँ.
क्यूँ मेरा सारा अरमान धुँधला दिया.
हे भगवान क्यूँ आपने मुझे देवी से औरत बना दिया....
(मातृदिवस पर सभी स्त्रियों को समर्पित )-
हर रोज़ गिर कर भी
मुकम्मल खङे हैं
एै ज़िन्दगी देख,
मेरे हौंसले तुझसे भी बङे हैं।-
तुम्हारे साथ नहीं हूँ,
पर मन तो वहीं है,तुम्हारे आस पास,
खिडकियों से आती हवा मे,
दुआ मे, दवा मे।
क्या हुआ अगर
मैं किताब नहीं हूँ,
पर मन लगाकर पढते हो तुम,
मेरी सभी परतें एक के बाद एक।
क्या हुआ अगर
मैं शराब नहीं हूँ,
मेरा नशा अब भी है तुम्हें,
किसी और के तुम हो न सके मेरे बाद।-
कुछ नज़र आता नहीं उस के तसव्वुर के सिवा
हसरत-ए-दीदार ने आँखों को अंधा कर दिया-