बस कर्म तुम्हारा कल होगा ,
और कर्म अगर सच्चाई है तो ,
कर्म कहां निष्फल होगा ,
हर एक संकट का हल होगा ,
वो आज नहीं तो कल होगा ।
लोहा जितना तपता है ,
उतनी ही ताकत भरता है ,
सोने को जितनी आग लगे ,
वह उतना प्रखर निखरता है ,
हीरे पर जितनी धार लगे ,
वह उतना खूब चमकता है ,
मिट्टी का बर्तन पकता है ,
तब धुन पर खूब खनकता है ,
सूरज जैसा बनना है ,
तो सूरज जितना जालना होगा ,
नदियों सा आदर पाना है ,
तो पर्वत छोड़ निकलना होगा ,
और हम आदम के बेटे हैं ,
क्यों सोचें राह सरल होगा ,
कुछ ज्यादा वक्त लगेगा ,
पर संघर्ष अवश्य सफल होगा ,
हर एक संकट का हल होगा ,
वह आज नहीं तो कल होगा ,
जब कर्म अगर सच्चाई है तो ,
कर्म कहां निष्फल होगा ।।
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