Shivam Sarle   (शिवम सरले)
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Joined 19 December 2019


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Joined 19 December 2019
7 JAN 2024 AT 22:52

मात्राओं व नियमों का ज्ञान होता
तो शायद और अच्छा लिखा जा सकता था,
पर जो सच था वो यही सब कुछ था जो लिखा गया
अकसर ज्यादा अच्छी चीजें वास्तविक नहीं होती।

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4 JAN 2024 AT 17:47

अहमियत

तुम गलत लोगों से उम्मीदें लगा बैठे हो!

खाने की कीमत भूखे से पूछो तो,
पानी का मोल प्यासा बता देंगा,
वो जिन्हें भूख लगने से पहले खाना मिल गया
या जो बिना प्यास के पानी पीता हो,
उनके लिए जाहिर सी बात है
इन सबका मोल कई गुना कम ही होंगा।

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3 JAN 2024 AT 20:09

स्वीकार हैं...

व्यस्तता में बीत गया ये वर्ष
हँसना-गाना भुला हर शख्स,
पर कुछ लमहे, भले ही कम है
जिया उनमें बस वही जीवन है
बीते वर्ष की सीख के साथ
नया साल, नया समय
नयी चुनौतियाँ स्वीकार हैं।

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3 JAN 2024 AT 20:08

स्वीकार हैं...

छोड़ आये जो पीछे अब
घर-परिवार, दोस्त-रिश्तेदार
तीज-त्यौहार, खेत-खलिहान
वो सभी अब भी मुझे याद है
उनकी कमी और यादो के साथ
नया शहर, नयी जगह
नयी परिश्थितियाँ स्वीकार हैं।

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3 JAN 2024 AT 20:04

स्वीकार हैं...

नहीं हुये जो वादे सच
बस दफ्तर-घर, घर-दफ्तर
जीवन की इस भागादौड़ी में
हो गए हम सब तरबतर
उन सभी अधूरे ख्वाबों के साथ
जाने अनजाने में हुई सारी
मेरी गलतियाँ स्वीकार हैं।

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19 DEC 2023 AT 21:03

लोग यहाँ पाँच-छः साल की दोस्ती तक भूल जाते है।
कल हँसे थे साथ, और वो सारी बात भूल जाते है।।

बोले तुममें है ही क्या! तुम जैसे लाखों मिल जाते है।
तरासा थकी आँखों से भी, वो नज़रों में गिर जाते है।।

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14 DEC 2023 AT 17:58

उन्हें मैंने मैं दिया, शायद वो काफी नहीं था,
तो फिर मैंने मुझको, मेरे पास रख लिया।

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13 DEC 2023 AT 16:52

कितने प्यारे शब्द है देखो,
बादल, बिजली, तारे, तुम,
तुम्हारे बाद अब क्या लिखूँ
कि मतलब इनके सारे तुम।

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11 DEC 2023 AT 20:46

जो सबको पसंद था
उसे तरासा, मूर्ति बनाई
मंदिर बनाया, पूजा की
सबने उसी को चाहा पर
वो किसी का हो न सका

और जो समाज की नजरों में
बेकार, अनुपयोगी बता कर
सड़क पर फेंक दिया था
मैं उसे घर ले आया, मैं उसका
और अब वो मेरा हो गया...

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5 DEC 2023 AT 21:57

मुर्दा!

मुर्दा हर रोज़ उठता,
आईने के सामने तैयार होकर
कहीं तो जाता, कुछ करता,
शाम में थका-हारा वापस आता
कुछ खाकर फिर मर जाता।

पर, जो हर रोज़ मर जाता
क्या वो मुर्दा कहलाता?

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