Shivam RajPut   (Shivam Singh)
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UmaR Ae Daraz Mang ke laye the 4 Din, 2 Arzoo me Nikal.gye 2 intezaar me..
Joined 12 April 2017


UmaR Ae Daraz Mang ke laye the 4 Din, 2 Arzoo me Nikal.gye 2 intezaar me..
Joined 12 April 2017
29 SEP 2022 AT 21:46

मैं अब कहीं नहीं आ सकता न जा स्कता हूं,
दरवाजा जो खुलता बाहर की ओर वो अंदर की ओर भी ना खुल सका।
रहा अधूरी चाहत खुद से मुलाक़ात की,
मैने गैरो से कई बार खुद का हाल पूछा है।

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3 FEB 2022 AT 1:19

चाहत पे पाबंदी नही है इस जमाने मे ग़ालिब,
तू बस इतना बता इन्तेज़ार कब तक करना है ।।— % &

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28 JUL 2021 AT 11:52

दो गज़ जमी नही पूरा अस्मा चाहिए,
बिछड़ते ववत रोया नही अब आंखों में करवा चाहिए ।।
औकात की बात मत पूछ मगरूर हू इस दुनिया मे ऐसे जैसे समुन्दर की रेत पे बैठे मूठी में बंद रेत को फिसलने के लिए हवा चाहिए,
गुज़रते वक़्त में सीखे सभी बातें बातो में कड़वाहट मीठी सी आधहन में पकती मुस्कुराहट सुलगते जिस्म को आँच की थोड़ी और तपन चाहिए ।।
गिरते उठते नासमझी से समझदार होने के सफर में बुझदिल कायर मन को थक्कान की बोझ से आराम चाहिए,
खैरियत पूछते पूछते हैसियत बताने की उम्र में आखिरी चंद सिक्कके जेब से निकाल इन गरीबो में बाट देनी चाहिए,
नफरत मोहब्बत के बीच पीस के बाजारे ऐ सौदा को निकले है बेमिसाल बैमान दिल हम बूरे लोग है हमे बेच देना चाहिए ।।

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15 MAY 2021 AT 0:40

कुछ पाने के लिए हमने मोहब्बत किया नही था,
हमने तो खोया है इश्क़ में तुमको भी खुद को भी ।

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28 AUG 2020 AT 23:18

निराश मन पे वो आशा की बूंद बन गीरी,
हुआ यूं कि एक दिन वो मुझसे आके मिली ।।

उठती गिरती उसकी झुलफें मानो समुन्द्री लहर ,
खवाबो की दुनिया वो कल्पनाओं सी अनन्त सागर,
दूर तक सन्नाटा और ये खामोशियो का कहर ,
मैं वो और लम्बा सुनसान शहर ।।

सर्द सा मौसम बर्फ का गिरना,
ठिठुरती आहो से बाहों में होना ,
सिकुड़ के शहर से गली सा होना,
धुंधली सी याद उसकी ,आंखों का खुलना,
खवाबो का बेजार होना ।।

सपनो की दुनिया मे एक अज़ीब सी हवा चली,
हुआ यूं कि एक दिन वो मुझसे आके मिली ।।

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11 JUN 2020 AT 23:02

तुमहारे नाम का आखिरी ना मेरे काम आया,
बाद बाकी जो रहा मोहब्बत तुममें बचा वो दुनिया के काम आया ।।
टूटा फूटा जो दिल था मेरा सच्चे भाव से मैं तुमहारे पास लाया,
मेरी सच्ची बातों का वादों का तुमहरा एक लफ्ज़ में इंकार आया।
दुनिया की भीड़ भड़े मेले में खुद को में अकेला पाया,
जब कभी भी मैं मिलने तुम तक आया
हाथो की लकीरों जिसमे तुम नही वो मैं मिटा आया,
धड़कते आग से सीने में तेरे लिये फिर भी मैं सबनम की बूंद लाया ।
तुमहारे नाम का आखिरी ना मेरे काम आया,
बाद बाकी जो रहा मोहब्बत तुममें बचा वो दुनिया के काम आया ।।

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30 MAY 2020 AT 23:02

अनुभव से अनुभूति , अनुभूति से आत्मसाध और आत्मसाध करके किया हुआ कर्म ही इंसान को महान बनाता है ।

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23 MAY 2020 AT 13:19

Success means nothing to me unless I'm not working hard to achieve what I want . There is no room for excuses, I can't lie to myself. Learn to live with whatever u have , , listen to ur brain rather than putting ur heart everywhere with filled emotions.

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20 MAY 2020 AT 23:52

दुकाने सजी थी दुनिया के मेले में लोग सारे बिक गए,
सच शाम तक बिका नही मैं पड़ा रह गया कही किनारे ,
कोइ मोहब्बत में बिक गए कोई सजदे में झुक गए,
नफरत की दहलीज पर हम सितमगर ठहरे !!

रहा टंगा कभी खूंटे कभी ज़िन्दगी के किवारे पे ,
मैं भी उमंग से नाच उठता मगर अफसोस बिखर गया,
हुआ यू कि मुझे कभी निखरने का मौका मिला नही ,
बड़ी आरज़ू थी कि मैं भी गिर जाता किसी के दामन में,
ताकता रहा हर किसी के चेहरे पे सही खरीदार जो मुझे मिला नही !!

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17 MAY 2020 AT 1:02

अपना गम एक मात्र अपना रहा उम्र भर,
साथ चलता रहा वो कदम अपना रहा उम्र भर,
गिरता रहा ठोकरे खा खा के उम्र भर,
कोई अपना होता तो बचा लेता -कोई अपना होता ये भी भ्रम रहा उम्र भर ।।

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