है हर श्रृंगार अधूरा, जब तक माथे पर बिंदी न हो।ना हिंदुस्तानी लगते हम, जब तक भाषा हिंदी न हो।डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह' -
है हर श्रृंगार अधूरा, जब तक माथे पर बिंदी न हो।ना हिंदुस्तानी लगते हम, जब तक भाषा हिंदी न हो।डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'
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आओ अतीत को करें विदानव नवीन अभिलाषा सेकुछ संकल्पों की बात करेंएक नूतन परिभाषा सेबीते पल से ये सीखा हैविपदाओं का कोई अंत नहींसब नश्वर है ये देख लियाये भौतिकता भी अनंत नहींउम्मीदों, आशाओं केकुछ नए दीप जगमग होंगेमजबूती से ये कदम बढ़ेंगेफिर कहीं कहीं डगमग होंगेजो बीत गई सो बात गईखट्टी मीठी वो रात गईएक नया सवेरा आएगाहोगी फिर से शुरूआत नई मेरे और मेरे परिवार की तरफ से आप सभी को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'प्रीति मिश्रा व अन्वेषा मिश्रा -
आओ अतीत को करें विदानव नवीन अभिलाषा सेकुछ संकल्पों की बात करेंएक नूतन परिभाषा सेबीते पल से ये सीखा हैविपदाओं का कोई अंत नहींसब नश्वर है ये देख लियाये भौतिकता भी अनंत नहींउम्मीदों, आशाओं केकुछ नए दीप जगमग होंगेमजबूती से ये कदम बढ़ेंगेफिर कहीं कहीं डगमग होंगेजो बीत गई सो बात गईखट्टी मीठी वो रात गईएक नया सवेरा आएगाहोगी फिर से शुरूआत नई मेरे और मेरे परिवार की तरफ से आप सभी को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'प्रीति मिश्रा व अन्वेषा मिश्रा
अब पश्चिम की प्राचीरों परइतिहास नया लिख जाएगागर्वित होगा हर भारतीयजब ध्वज भारत का लहराएगाभारतीय क्रिकेट टीम को लॉर्ड्स में इंग्लैंड पर विजयश्री हासिल करने की स्वर्णिम बधाइयां। डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह' -
अब पश्चिम की प्राचीरों परइतिहास नया लिख जाएगागर्वित होगा हर भारतीयजब ध्वज भारत का लहराएगाभारतीय क्रिकेट टीम को लॉर्ड्स में इंग्लैंड पर विजयश्री हासिल करने की स्वर्णिम बधाइयां। डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'
"अभी आजाद हैं हम सब, मनाते जश्न हैं इसकाबहीं थी रक्त की नदियां, ना जाने था वो किस किस कालहू के रंग से रंजित, सभी इतिहास के पन्नेफर्क करना भी मुश्किल था, बहा था कब तलक किसका"डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह' -
"अभी आजाद हैं हम सब, मनाते जश्न हैं इसकाबहीं थी रक्त की नदियां, ना जाने था वो किस किस कालहू के रंग से रंजित, सभी इतिहास के पन्नेफर्क करना भी मुश्किल था, बहा था कब तलक किसका"डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'
They always stabbed me and portrayed that I was already in the pool of bloodडॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह' -
They always stabbed me and portrayed that I was already in the pool of bloodडॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह'
जो आंखें मुस्कुराती थीं अभी वो नम ही रहती हैंयकीनन मौसम-ए-बरसात उन्हें बेहद पसंद होगीडॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह' -
जो आंखें मुस्कुराती थीं अभी वो नम ही रहती हैंयकीनन मौसम-ए-बरसात उन्हें बेहद पसंद होगीडॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह'
अच्छे वक्त में सब पास खड़े थेजरा सा वक्त बुरा क्या हुआ कि अब वो रास्ता बदल देते हैंडॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह' -
अच्छे वक्त में सब पास खड़े थेजरा सा वक्त बुरा क्या हुआ कि अब वो रास्ता बदल देते हैंडॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह'
कोई धुंधले तारे सा समझे तुम्हें उस आसमान में,पर ये याद रखना हमारी दुनिया के सूरज हो तुमडॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह' -
कोई धुंधले तारे सा समझे तुम्हें उस आसमान में,पर ये याद रखना हमारी दुनिया के सूरज हो तुमडॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह'
कभी ना चाहते हुए भी हां कर जानाकभी चाहते हुए भी ना कर जानाकभी हां और ना के बीच उलझ कर रह जानाहां फासला तो है, इस हां और ना के दरम्यानडॉ. शिवम् मिश्र 'प्रवाह' -
कभी ना चाहते हुए भी हां कर जानाकभी चाहते हुए भी ना कर जानाकभी हां और ना के बीच उलझ कर रह जानाहां फासला तो है, इस हां और ना के दरम्यानडॉ. शिवम् मिश्र 'प्रवाह'
अब कुछ उदास सा रहता हूंजैसे कि पतझड़ में सूखा पेड़ हो कोईजिसे इंतजार हो फिर से सावन के आने काडॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह' -
अब कुछ उदास सा रहता हूंजैसे कि पतझड़ में सूखा पेड़ हो कोईजिसे इंतजार हो फिर से सावन के आने काडॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'