Shivam Mishra   (प्रवाह)
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Joined 22 August 2018


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Joined 22 August 2018
14 SEP 2022 AT 14:34



है हर श्रृंगार अधूरा, जब तक माथे पर बिंदी न ‌हो।
ना हिंदुस्तानी लगते हम, जब तक भाषा हिंदी न हो।


डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'





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1 JAN 2022 AT 8:47

आओ अतीत को करें विदा
नव नवीन अभिलाषा से
कुछ संकल्पों की बात करें
एक नूतन परिभाषा से

बीते पल से ये सीखा है
विपदाओं का कोई अंत नहीं
सब नश्वर है ये देख लिया
ये भौतिकता भी अनंत नहीं

उम्मीदों, आशाओं के
कुछ नए दीप जगमग होंगे
मजबूती से ये कदम बढ़ेंगे
फिर कहीं कहीं डगमग होंगे

जो बीत गई सो बात गई
खट्टी मीठी वो रात गई
एक नया सवेरा आएगा
होगी फिर से शुरूआत नई

मेरे और मेरे परिवार की तरफ से आप सभी को नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'
प्रीति मिश्रा व अन्वेषा मिश्रा

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17 AUG 2021 AT 0:17

अब पश्चिम की प्राचीरों पर
इतिहास नया लिख जाएगा
गर्वित होगा हर भारतीय
जब ध्वज भारत का लहराएगा

भारतीय क्रिकेट टीम को लॉर्ड्स में इंग्लैंड पर विजयश्री हासिल करने की स्वर्णिम बधाइयां।
डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'

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15 AUG 2021 AT 10:17

"अभी आजाद हैं हम सब, मनाते जश्न हैं इसका
बहीं थी रक्त की नदियां, ना जाने था वो किस किस का
लहू के रंग से रंजित, सभी इतिहास के पन्ने
फर्क करना भी मुश्किल था, बहा था कब तलक किसका"

डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'


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10 AUG 2021 AT 11:34

They always stabbed me and portrayed that I was already in the pool of blood

डॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह'

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10 AUG 2021 AT 0:04


जो आंखें मुस्कुराती थीं
अभी वो नम ही रहती हैं
यकीनन मौसम-ए-बरसात
‌‌ उन्हें बेहद पसंद होगी

डॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह'



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8 AUG 2021 AT 21:38

अच्छे वक्त में सब पास खड़े थे
जरा सा वक्त बुरा क्या हुआ कि अब वो रास्ता बदल देते हैं

डॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह'


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6 AUG 2021 AT 19:23

कोई धुंधले तारे सा समझे तुम्हें‌ उस आसमान में,
पर ये याद रखना हमारी दुनिया के सूरज हो तुम

डॉ शिवम मिश्र 'प्रवाह'

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28 JUL 2021 AT 11:53


कभी ना चाहते हुए भी हां कर जाना
कभी चाहते हुए भी ना कर जाना
कभी हां और ना के बीच उलझ कर रह जाना
हां फासला तो है, इस हां और ना के दरम्यान

डॉ. शिवम् मिश्र 'प्रवाह'

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16 JUL 2021 AT 21:42

अब कुछ उदास सा रहता हूं
जैसे कि पतझड़ में सूखा पेड़ हो कोई
जिसे इंतजार हो फिर से सावन के आने का

डॉ शिवम् मिश्र 'प्रवाह'

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