मर्द यकीनन
बेहद मजबूत है ......
मगर ऐसा नहीं
है कि उसे दर्द नहीं होता .......,!
ये अलग बात है कि
वो कुछ कह नहीं पाता ....
बहुत कुछ सह लेता है मगर
सब कुछ सह नहीं पाता ....!
असहनीय है उसके लिए उसके
अपनों का रूठना ......
और उसके सपनों का टूटना ...!
वो सिसकता है , रोता है , तड़फता है ....
जब जब ऐसे दौर से गुज़रता है ....!
वो हारता है , थकता है ....
मगर कभी रुकता नहीं ...!
दरअसल मर्द झुक तो सकता है ...
मगर कभी रुक नहीं सकता ..!
Shiv.
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