Shivam Mishra Shiv.   (SHIV.)
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Poetry is my passion , love and one of the most important part of my life .....
Joined 14 March 2020


Poetry is my passion , love and one of the most important part of my life .....
Joined 14 March 2020
23 APR AT 15:32

मर्द यकीनन
बेहद मजबूत है ......
मगर ऐसा नहीं
है कि उसे दर्द नहीं होता .......,!
ये अलग बात है कि
वो कुछ कह नहीं पाता ....
बहुत कुछ सह लेता है मगर
सब कुछ सह नहीं पाता ....!
असहनीय है उसके लिए उसके
अपनों का रूठना ......
और उसके सपनों का टूटना ...!
वो सिसकता है , रोता है , तड़फता है ....
जब जब ऐसे दौर से गुज़रता है ....!
वो हारता है , थकता है ....
मगर कभी रुकता नहीं ...!
दरअसल मर्द झुक तो सकता है ...
मगर कभी रुक नहीं सकता ..!
Shiv.

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19 APR AT 18:26

मुझे स्वीकार हैं
" शत्रु " हज़ार........
बस कोई
" मित्र " न हो मक्कार ..!!

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16 APR AT 22:34

वो सुकून पाने की चाहत में मुझसे पूछ रहे थे ........
कि , " सब कैसा चल रहा ......"
मैंने, " सब बढ़िया "
कह कर उन्हें बेचैन कर दिया .....!!

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15 APR AT 19:41

मायूस बैठा था हार कर ......
फिर 'भीतर' से आवाज़ आई
कि ......
ज़रा और प्रयास कर .....
वक्त को अहमियत दे .....
ज़रा ख़ुद में और निखार कर .....
अपनी खामियों पर वार कर ...
जो हुईं तुझसे उन खताओं को याद कर ....
और फिर सुधार कर ....
बेबसी , बेचैनी और चिंताएं लाज़िम हैं
हर एक हार पर ......
और हार को स्वीकार कर .....
माना कि उम्मीदें से परे परिणाम रहे
फिर भी ख़ुद को रख थाम कर .....
फिर जोड़ उम्मीदें ख़ुद से ...
खरा उतर उन उम्मीदों पर
और ख़ुद को आबाद कर ......
SHIV.





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3 APR AT 19:03

एक तरफ़
ज़रा रुतवा था ......
ज़रा शोहरत थी ......
ज़रा दौलत थी .......
एक तरफ़ मुक्कमल इंसानियत .......
मैं फिर इंसानियत की खातिर झुक गया ......
मुझे यकीनन जाना था और मैं जाते जाते रुक गया .......!!
अब रब जाने .......
और रब तो सब जाने ....!!

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29 FEB AT 20:39

न "अहम" रखें न "वहम" में रहें......
कि "हम" ख़ास हैं ..
"हम" यकीनन आम हैं .....
और हमारे विकल्प तमाम हैं ....!!

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18 FEB AT 20:56

ये असमंजस......
ये चिंताएं .......
खाए जाती हैं मुझे
कि मैं कुछ हासिल कर पाता क्यों नहीं ......

और माँ को शिकायत है
कि मैं ठीक से खाता क्यों नहीं ........!!

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14 FEB AT 11:05

रुख़सती का वक्त
पास आने लगा है .....
अब मुझे एकांत
रास आने लगा है ..!!
SHIV.

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31 JAN AT 23:16

जिसके जेहन में वफ़ा
से पहले दगा आए.........
जरा से फ़ायदे के लिए
जो जज्बातों को कुचलता जाए...............
रब से भी जो खौफ न खाए.....
और जो चंद पैसों पे मर जाए ......
वो तो फिर मर ही जाए .........

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13 JAN AT 21:30


असमंजसों और उलझनों से हार कर .....
जिम्मेदारियों के लिए ख्वाबों को मार कर .!
रख अरमानों को ताक पर ....
मगर अब तलक न पाया
कुछ भी एक हद तक
खुद को वार कर ..!!
मगर अब थक चुका हूं ....
गैरों संग अपनों को भी आज़मा चुका हूं ...!
अब सोचता हूं कि बस किया जाए ....
असमंजस है कि कैसे जिया जाए ....!!
बागी हो जाऊं ....
या फिर बैरागी हो जाऊं .....!
आख़िर कैसे निजात पाऊं....!!
जीवन यकीनन मुश्किल है .....!
बेहद मुश्किल है .....!!
Shiv.


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