Shivam Mishra  
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I'm a poet and storyteller by heart and scientist by brain.
Joined 18 October 2017


I'm a poet and storyteller by heart and scientist by brain.
Joined 18 October 2017
9 JUN 2020 AT 0:19

यू तो चेहरें कई पढ़े हैं मैंने
पर तू कुछ अलग़ सी हैं
शहरभर का मयख़ाना नाप चुके हम
पर तेरे आँखों की शराब कुछ नई-नई सी हैं .

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26 APR 2020 AT 22:03

सुनो, आज ये बादल कुछ दीवाने से लगते है
सच बताना ,तुम आज छत पर आयी थी न.

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30 MAY 2019 AT 15:16

सुना है कि तुम मुझे ढूंढ रही थी
उन बदनाम गलियों मे खुद आकर
मुझे पूछ रही थी
सुना है कि तुम मुझे ढूंढ रही थी.
छिपाये थे जो अश्क बरसों तलख़
उन्हें क्यों बिख़ेर रही थी
मेरी गुमशुदगी की ख़बर पाकर
तुम क्यों टूट रही थी
सुना है कि तुम मुझे ढूंढ रही थी.
सोचा था कि तुम पत्थर हो
फिर अब क्यों मोम हो रही थी
ख़ुश हूँ ये जानकर के तुम ख़ून थूकती हो
मेरी रूह कि तकलीफ़ कुछ कम हो रही थी
सुना है कि तुम मुझे ढूंढ रही थी.

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16 APR 2019 AT 9:17

वक़्त दो थोड़ा मुझे
मैं दिल मे उतर सकता हूँ
शराब हू मैं पुरानी
तुम्हारी रूह को छू सकता हूँ.
कब तक इंकार करेगी तू इश्क़ से
मैं शायर हूँ ,तेरी आँखे पढ़ सकता हूँ.

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12 APR 2019 AT 21:15

मत पड़ इश्क़ के चक्कर में
हाथ कुछ न आएगा
वो तेरा कार्ड करेगी स्वाइप
तू शॉपिंग बैग उठाएगा .

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21 MAR 2019 AT 11:31

कुछ रंग लगाना
कुछ रंग लगवाना चाहती है
ग़ुम होकर भी भीड़ में
मेरा हाथ थामना चाहती है
करती है गुरेज़ मोहब्बत से
पर इश्क़ का इज़हार करवाना चाहती है.
बड़ी पागल है वो
दूर होकर भी
साथ रहना चाहती है.

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28 FEB 2019 AT 22:30

चार तक़लीफ क्या हुई
अश्क़ बहाते हो तुम
गिरे क्या एक बार
दर्द सुनाते हो तुम
सुनाई बहुत थी जुनूं की कहानी तुमने
कि कैसे मुश्किलों मे फ़ौलाद हो जाते हो तुम
देखेगा ये
जमाना सारा
कब तक इस जंग मे टिक पाते हो तुम.

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14 FEB 2019 AT 19:34

चलो इश्क़ की नई शुरुआत लिख़ते है
न सुनी हो किसीने पहले कभी
ऐसी एक दास्ताँ लिख़ते है.
कुछ आँखों की शरारत
कुछ रुसवाई केअश्क़ लिख़ते है
कुछ रुहानियत तो कुछ इनायत की बात करते है
चलो कुछ ख़्वाबीदा होते है
तो कुछ ख़्वाबों की ताबीर लिखते है.
इश्क़ के सुकूं को छोड़
चलो तक़लीफ की बात लिख़ते है
ग़र न मयस्सर हो आँसू
तो दर्द की बात लिख़ते है.
चलो आसमां को इश्क़ की आयत से भरते है
हो हसद ख़ुदा को भी ऐसी इबादत लिख़ते है.
जो बिछड़े है हर बार तो कोई ग़म नहीं
फ़िर बिछड़ एक बार नयी सौग़ात लिख़ते है
चाह कर न भी भूला सकें कोई दास्ताँ ये अपनी
चलो एक ऐसा इतिहास लिख़ते है.

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10 FEB 2019 AT 22:38

तेरे चेहरे की मुस्कान
कुछ ख़ास लगती
जब होती है साथ मेरे
तो ज़माने में कई बात चलती है
उठता धुआँ दिखता है कईयों को
कहीं तो कोई आग ज़रूर जलती हैं.

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14 DEC 2018 AT 13:34

थे आशिक़ तो हज़ारों उनके
क्या बताऊ सबके बारे में
कुछ इश्क़ मे जले
बाक़ी रुसवाई में मरे .

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