सुना है कि तुम मुझे ढूंढ रही थी
उन बदनाम गलियों मे खुद आकर
मुझे पूछ रही थी
सुना है कि तुम मुझे ढूंढ रही थी.
छिपाये थे जो अश्क बरसों तलख़
उन्हें क्यों बिख़ेर रही थी
मेरी गुमशुदगी की ख़बर पाकर
तुम क्यों टूट रही थी
सुना है कि तुम मुझे ढूंढ रही थी.
सोचा था कि तुम पत्थर हो
फिर अब क्यों मोम हो रही थी
ख़ुश हूँ ये जानकर के तुम ख़ून थूकती हो
मेरी रूह कि तकलीफ़ कुछ कम हो रही थी
सुना है कि तुम मुझे ढूंढ रही थी.
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