Shivam Kumar   (शिवम् कुमार)
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Mechanical Engineer
Joined 18 January 2018


Mechanical Engineer
Joined 18 January 2018
17 MAY 2023 AT 5:07

अच्छा, सुनो...
तुम्हें  याद है क्या?
वो शाम जब मैं और तुम
निकले थे सड़क पर घूमने,
कितना अच्छा मौसम था न वो,
हल्की हवा, थोड़े बादल और कभी-कभी
वो बारिश की बूंदे , और इस सब में
तुम बस बोले जा रही थी
और मैं हमेशा की तरह हाँ हम्म किये जा रहा था,
और मेरी हाँ हम्म से  irritate होकर तुम्हारा कहना
कि तुमको extrovert बनाते-2 मैं introvert हो जाऊँगी...
तुम्हें याद है क्या,
वो उस रात का किस्सा,
जब अचानक से हॉर्न की आवाज सुन तुम डर गयी थी...
और तुमने कस कर थाम लिया था मेरा हाथ,
फिर वो कुछ देर का मौन, और
तुम्हारा फिर से सुरु कर देना
'कि पता है क्या हुआ?'और
मेरा फिर वही हाँ हम्म करते रहना,
फिर तुम्हारा गुस्से में कहना,  कि
तुम भी कभी तो कुछ कहा करो,
अच्छा तो सुनो...
तुम्हें कुछ बताना है, कि
वो जब तुम उस दिन आयीं थीं ना,
वो काले रंग का सूट, काले रंग की बिंदी और वो झूमके पहनकर,
अच्छी लग रही थी,
पहन लिया करो,और हाँ 
बाल खोल कर रखा करो,
अच्छी लगती हो...
अच्छा,  सुनो
तुम्हें वो याद है क्या ?
छोड़ो,
अब जब मिलोगी तो बताऊँगा,
बहुत कुछ है बताने को, सुनाने को...
जब मिलोगी तो बताऊँगा...

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9 MAR 2021 AT 20:13

लोग नहीं चाहते हैं एक नदी के जैसा जीवन,
वो चाहते हैं जीवन में मात्र स्थिरता लाना,
स्थिरता ?
एक तालाब के जैसे ?
लेकिन वो भूल जाते हैं वो समय
जब बरसात के अभाव में,
वही तालाब खो देता है अपना अस्तित्व,
अस्तित्व अपने होने का
और खो जाता है सूखी झाड़ियों के बीच

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28 FEB 2021 AT 18:39

वो अमावस की रात और चाँद का आकाश में न आना, फिर
उस रात डायरी के पन्नों पर अकेले ही सफ़र तय करना...

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22 JAN 2021 AT 19:43

आदि भी वो अंत भी वो,
हर शक्ति का अनन्त वो,

शून्य का विस्तार वो,
जीवन का सार वो,

वो ही गरल अमृत भी वो,
मृत्यु पर हर प्रहार वो,

लोभ वो मोक्ष वो,
मोह से निर्वाण वो,

योग वो समाधि वो,
सत्य का संधान वो,

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21 SEP 2020 AT 17:27

हमने जो बसा दिया ये कंक्रीट का शहर, खूबसूरत बहुत है,
मगर इस शहर में लोग बेघर बहुत हैं,

जगमगा रहा है जो ये शहर रंगबिरंगी रौशनी में,
मगर इस शहर की जिंदगी में अंधियारा बहुत है,

इमारतें ऊंची बहुत हैं इस शहर की,
मग़र इन इमारतों से दिखता आजकल आसमान धुंधला बहुत है,

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31 MAY 2020 AT 22:06

किसान मर जाता है कर्ज़ चुकाने में,
मजदूर मर जाता है बोझा ढोने में,
सिपाही मर जाता है सरहद की रखवाली में,
और नेता...
नेता मस्त रहते हैं घोटाले की संपत्ति छुपाने की जद्दोजहद में...

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28 MAY 2020 AT 21:29

यदि एक पथिक के पास किसी गंतव्य पर पहुँचने के लिए दो मार्ग हैं और वह किसी एक मार्ग का चुनाव करते समय ये जानने के लिए उत्सुक नहीं है कि इन दोनों मार्गों में से कौन-सा मार्ग सरल है तो वास्तव में वह व्यक्ति पथिक नहीं है।

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26 MAY 2020 AT 12:42

किस ख़्वाब में हैं तूने ये ख्वाहिशें बुनी,
तेरी मंजिल भी है बड़ी और तुझको चलना भी नहीं…

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24 MAY 2020 AT 23:18

हजारों से मिल रहा हर रोज़ वो आजकल,
मग़र जिंदगी में तन्हा बहुत है वो आजकल,

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24 MAY 2020 AT 18:17

अब करीब है मंजिल, बस तुम सफ़र में रहो,
गहरा है साया शज़र का, तुम थोड़ा धूप में रहो,

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