जैसे दिन में रौशनी जुगनू खो देते हैं, सितारे तेरी आँखों के मेरा जादू खो देते है। तेरे पास आने में एक मसला है मेरी जान, तेरे पास आते ही हम काबू खो देते हैं।।
झूठे लगते हैं दिन दुनिया जमाने क्या-क्या, जब दे रहा होता है वो बहाने क्या क्या। छोड़ कर जाना तो नहीं चाहती मगर मजबूर हूं, इस बात के निकलते हैं माने क्या क्या। उसकी जुदाई हम पे ऐसा असर करती है, तीर, तलवार, खंजर या जाने क्या-क्या।।
रौशनी से तेरी वहा चाँद रूठा बैठा है, मैंने तुझे मांगा जब भी टूटा तारा देखा है। तेरे जैसी महक यहाँ किसी फूल मे नहीं, याकिन कर मेरा मैंने हर बाग देखा है।।
ना इश्क करूंगा ना इश्क का करोबार मैं, इसलिए बदलता रहता हूं दिल की सरकार मैं। बड़े आए हसीन नाज़ुक मछली से बदन वाले, अजी जाओ चलो निकलो हो गया होशियार मैं।।
इश्क के शौबत से तुझे अपना बना सबके लिए हो गया चालू, तुझे बना मदारी मैं बन गया तेरा भालु। सुना है बहुत पसंद है तुम्हें खाने में आलू, तो आज से मैंने तुम्हारा नाम रख दिया आलू।।