देखी लहुरी काशी, भइया, देखी लहुरी काशी,
जहाँ विराजैं बड़ा महादेवा भोले शंकर अविनाशीl
राजा गाधि की पावन भूमि बसती मां कामाख्या की शक्ति
वही भूमि गंगा तट की, मैला आंचल परती।।
थे वीर अब्दुल हमीद जहां, था खून अभिमानी,
दुश्मन के आगे किंचित हार न मानी।
हम गाजीपुर के है वासी, जहां होता खून बलिदानी,
गंगा में मिलकर है बहता कुल नौ नदियों का पानी।।
लॉर्ड कार्नवालिस का है मकबरा, शान ए गाजीपुर स्मारक,
कानून, भूमि, पुलिस, थे सबके लिए सुधारक।
जहां पवाहारी बाबा बसते ,ध्यान, ज्ञान के प्रवर्तक,
आज भी जिनके दर पे झुकते, प्रेम से सबके मस्तक।।
है समेटे सारा इतिहास जिनमे छुपी सुनहरी विरासत,
मासूम रजा साहब ने लिखी थी जहां महाकाव्य महाभारत।
मिलते हैं यहां सैनिक किसान, जो होते ज्ञान विशारद
सबको खुद में अपनाकर गाजीपुर, बनाता है एक नया भारत।।-
रात्रि के 1:18 am हो रहे है, आंखों से नींद ओझल है, इस काली रात में दूर दूर तक इस निर्जन प्रदेश में कोई मानव नही, झींगुरों की आवाजें,चिड़ियों का कोलाहल, उल्लू और कोयल की मिश्रित ध्वनियां और सुदूर जंगली कुत्तों और सियारों के रोने की आवाजें, ये सब बता रही हैं मुझे अपने जीवन के दुःख, कोई अपने रंग को लेकर दुःखी है, कोई आवाज पर, कदाचित ये ईश्वर की ही लेखनी का परिणाम है..!!
#बातें_अध्यात्मपुरम_की-
भृगु_उवाच-
मध्य रात्रि के 12:30 हो रहे है, आंखों से नींद जैसे कोसों दूर हो रही हो , एक दम काली रात में दूर दूर तक इस निर्जन प्रदेश में कोई मानव नही, झींगुरों की आवाज,चिड़ियों की कोलाहल, उल्लू और कोयल की मिश्रित ध्वनियां और सुदूर जंगली कुत्तों और सियारों के रोने की आवाजें, पता नहीं मैं कब मिल पाउँगा खुदसे.. लेकिन जब मैं मिलूँगा तो अपने दिल में सारे अधूरे अरमान और रात्रि में पूरब से चलने वाली हवा जो रातरानी की खुशबू को ढ़ो कर मेरे स्मृति में कैद होती है ..उसे शब्द दूंगा कि वह कविता बने.. वही मेरा स्वप्रेम का प्रथम उपहार होगा....!!!-
अब जहर से भी ठीक न हो,
ऐसा जख्म हरा है,
बस एक बूंद पानी के लिए
प्यासा देखो कैसे मरा है।
यूं तो बहुत उठाते हैं अंगुली मुझपे,
मेरे बाबा जानते हैं कि विहान कितना खरा है।-
हम वो आखिरी पीढ़ी है, जिनके पास ऐसी मासूम माँ हैं जिनका.....
- न कोई सोशल मीडिया पर अकाउंट है
- न फोटो, सेल्फी का कोई शौक है,
उन्हें ये भी नहीं पता कि स्मार्टफोन का लॉक कैसे खुलता है,
- जिनको ना अपनी जन्मतिथि का पता है,
- उन्होने बहुत कम सुख सुविधाओं में अपना पूरा जीवन बिताया, बिना किसी शिकायत के,
जी हाँ, हम वो आखिरी पीढ़ी हैं, जिनके पास ऐसी माँ है,,,,
लव यू माँ.....-
तुम्हारे रूह को भी करना चाहता हूं सुहागन..
फकत मांग मे सिंदूर भरने से कुछ नहीं होता ...!!-
फूल,ख़ुशबू, उन पे उड़ती तितलियों की ख़ैर हो
सब के आँगन में चहकती बेटियों की ख़ैर हो😊
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पिता की डांट से माँ की लोरियों तक
स्कूल की किताबों से यारों की टोलियों तक,
जिनसे जो कुछ भी मैंने पाया है
हिंदी भाषा ने इन सब में अपना किरदार निभाया है।-
30+ की स्त्रियां सार्थक प्रेमिकाएँ हो सकती हैं अपने भीतर रिश्तों के मर्म को सहेजे हुए परिपक्व शांत सौम्य फिटनेस कॉन्ससियस
अनुभव की लकीरें माथे पे लिये
वो बेशक कभी शब्दों में प्यार🖤का इज़हार न करें पर वो आँखें वो-बॉन्डिंग और उनकी अधरों की मुस्कान मानो सब कह जाती है ✍️
— स्वनुभव-
पकड़ लो हाथ ठकुराइन,नही तो छूट जाएंगे,
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा हमारी जान जायेगी
धरी है यादों की गठरी हमारे दिल पे है भारी,
वजन यादों का है ज्यादा, इसे कैसे संभालेंगे,
तुम्हारे ही भरोसे पर,खुद को लूटा दिये है,
फंसे है इस कश्मकश में हम कि अब तो टूट जाएंगे,
दर्द दिल की कहूंगा किससे,कि तमाशा सब देखेंगे,
तुम बिन वो विरह के पल, हम कैसे जीये जाएंगे
पकड़ लो हाथ ठकुराइन नही तो छूट जाएंगे,
तुम्हारा कुछ न बिगड़ेगा हमारी जान जायेगी-