रंजिश कौन कहता है अपनों में नहीं होती ,
यूं तन्हा थोड़े कोई छोड़ देता है ।
भीड़ चौराहे जैसी जरूर है जिंदगी में ,
सबब में ऐसे थोड़े कोई मुंह मोड़ लेता है ।
वो कहता है कतराने लगा हूं उससे मै ,
ऐसे बिना जुर्म के सजा कौन देता है ।
लिख देता था जिसे सोच पूरा "मकता" मैं,
बगैर उसके आज "मिसरा" भी मुक्कमल नहीं होता है ।
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वज़ू किसका क्या है,कौन जानता है ?
जो झलका झूठी आंखों में ,हर कोई वही सच मानता है !
चुभन होती है मेरी फितरत से तुम्हारी आंखों में जरूर ,
पर मेरी जान ये लहजा शुरुवात में हर किसी को मारता है !!
भीड़ अच्छी लगती है वैसे पीछे तुम्हारे ,
पर सच ये कि सब रोजगार कर बैठे हैं !
खड़े थे जो खुद पीछे हमारे,
वही आज मुझे नशे का तलबगार समझ बैठे हैं!!-
खैरियत फिर कभी ... अभी तो बहुत अंधेरा है !
आना फिर यहीं .... अभी बनारस में बसेरा है !!-
लगता है यादें कुछ कह रही है , रुको सुनने की कोशिश कर रहा हूं मैं !
शायद अचानक ही याद आ रही हैं , फिर से उसी शहर आ रहा हूं मैं !!-
महकने लगी थी हमारी भी जिंदगी ,
पर पता नहीं कब क्या हो गया !
एक भौरें ने दस्तक दी फूल पर ,
और सब कुछ बिखर गया !!
बस ऐसे ही नई उम्मीद के साथ खुद को संभाला है ,
कोहरे के धुंध में भी मैंने ढूंढा उजाला है !
अब समझ सकते हो मेरे जिंदगी के मायने को ,
मुझे तो घर वालो ने ही ,पर मेरे दिल को मैंने खुद पाला है !!-
हर यादों में जब तुम याद आती हो ,
तब तब मै हैरान हो जाता हूं !
क्या गुनाह था जिंदगी ये तो बता हमारा ,
जो तुमसे ही दूर हो जाता हूं !!
नशा तुम्हारा था मुझे ,पर अब लगता ऐसा नहीं होगा !
बदनाम हो या अब नाम हो जो भी होगा सही होगा !!-
ख्वाइश जिंदगी की मेरी भी एक थी ,
जो लगता है मुझे बिल्कुल भी ना नसीब थी !!
गमे मज़बूरी में मांग कोई और ही भरेगा ,
पर मेरी सांसों पर नाम तुम्हारा ही रहेगा !
बस घर वालो की खुशियों के लिए ऐसा भी करना पड़ेगा ,
किसी और के हिस्से का प्यार किसी और को देना पड़ेगा !!
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तेरी नादानी बेवकूफी ही दिल से दिल को करीब करती है ,
अब झूठ क्या कहूं , मेरे जीने की तू ही तो एक वजह बनती है !!
एक बात कहूं ये अल्फ़ाज़ तुम्हारे लिए ही तो है ,
पर अ़फसोफ इन्हें सुनने के लिए मेरे साथ तुम्हीं नहीं हो !!-
जब माना अपना है तो उस पर उंगली उठाना कैसा ,
प्यार है ये साहब जरूरी तो नहीं हर कोई हो तुम्हारे जैसा !!
फिर भी किसी दूसरे के उसके गले लगने से तुम्हे दर्द होता है ,
तो भूल जाइए , आपको भी उससे प्यार नहीं वो सिर्फ खोने का डर होता है !!-
दिनों को सालों की तरह गुज़ार तो दिया था ,
फिर भी हाल ये दिल जानने का एक मौका मिला था !
आंखों से आंखे मिला , दिलों में गुफ्तगू होने लगी !
बेचैनी को छुपाने की भी कोशिश होने लगी !
पर क्या करते , सब बात तो वक्त की है ,
वरना यादें तो आज भी प्यार ही है !!
सिलसिला शुरू हुआ फिर से एक दूसरे को समझाने का ,
तभी कुछ याद आ गया !
अब कब रूबरू होंगे एक दूसरे के हम कहते ही , दोनों की आंखों में आसूं आ गया !!
कुछ कहते या समझाते कुछ भी रास ना आ रहा था ,
नम आंखे झूठी मुस्कान सब लहजे चुपचाप देख रहा था !!
हाथ को पकड़ वो मुझे घुमाना चाहती थी ,
पर सारी पाबंदियां उसे रोक लेती थी !
बढ़ते दो कदम तो हमारे भी थे ,
पर मज़बूरी में खुशियों से वो मुंह मोड़ लेती थी !!
बस ऐसे ही कुछ वादों कुछ सपनों का सहारा देकर आया हूं ,
हर बार की तरह फिर से एक झूठ बोल आया हूं !!
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