shivam awasthi   (शिवम्)
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کفارہ
Joined 30 September 2019


کفارہ
Joined 30 September 2019
25 JAN 2021 AT 22:30

रंजिश कौन कहता है अपनों में नहीं होती ,
यूं तन्हा थोड़े कोई छोड़ देता है ।
भीड़ चौराहे जैसी जरूर है जिंदगी में ,
सबब में ऐसे थोड़े कोई मुंह मोड़ लेता है ।
वो कहता है कतराने लगा हूं उससे मै ,
ऐसे बिना जुर्म के सजा कौन देता है ।
लिख देता था जिसे सोच पूरा "मकता" मैं,
बगैर उसके आज "मिसरा" भी मुक्कमल नहीं होता है ।

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29 JAN 2020 AT 13:59

वज़ू किसका क्या है,कौन जानता है ?
जो झलका झूठी आंखों में ,हर कोई वही सच मानता है !
चुभन होती है मेरी फितरत से तुम्हारी आंखों में जरूर ,
पर मेरी जान ये लहजा शुरुवात में हर किसी को मारता है !!

भीड़ अच्छी लगती है वैसे पीछे तुम्हारे ,
पर सच ये कि सब रोजगार कर बैठे हैं !
खड़े थे जो खुद पीछे हमारे,
वही आज मुझे नशे का तलबगार समझ बैठे हैं!!

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26 JAN 2020 AT 18:02

खैरियत फिर कभी ... अभी तो बहुत अंधेरा है !
आना फिर यहीं .... अभी बनारस में बसेरा है !!

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13 JAN 2020 AT 6:48

लगता है यादें कुछ कह रही है , रुको सुनने की कोशिश कर रहा हूं मैं !
शायद अचानक ही याद आ रही हैं , फिर से उसी शहर आ रहा हूं मैं !!

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22 DEC 2019 AT 6:48

महकने लगी थी हमारी भी जिंदगी ,
पर पता नहीं कब क्या हो गया !
एक भौरें ने दस्तक दी फूल पर ,
और सब कुछ बिखर गया !!

बस ऐसे ही नई उम्मीद के साथ खुद को संभाला है ,
कोहरे के धुंध में भी मैंने ढूंढा उजाला है !
अब समझ सकते हो मेरे जिंदगी के मायने को ,
मुझे तो घर वालो ने ही ,पर मेरे दिल को मैंने खुद पाला है !!

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17 DEC 2019 AT 16:51

हर यादों में जब तुम याद आती हो ,
तब तब मै हैरान हो जाता हूं !
क्या गुनाह था जिंदगी ये तो बता हमारा ,
जो तुमसे ही दूर हो जाता हूं !!
नशा तुम्हारा था मुझे ,पर अब लगता ऐसा नहीं होगा !
बदनाम हो या अब नाम हो जो भी होगा सही होगा !!

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16 DEC 2019 AT 21:25

ख्वाइश जिंदगी की मेरी भी एक थी ,
जो लगता है मुझे बिल्कुल भी ना नसीब थी !!
गमे मज़बूरी में मांग कोई और ही भरेगा ,
पर मेरी सांसों पर नाम तुम्हारा ही रहेगा !
बस घर वालो की खुशियों के लिए ऐसा भी करना पड़ेगा ,
किसी और के हिस्से का प्यार किसी और को देना पड़ेगा !!

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15 DEC 2019 AT 21:33

तेरी नादानी बेवकूफी ही दिल से दिल को करीब करती है ,
अब झूठ क्या कहूं , मेरे जीने की तू ही तो एक वजह बनती है !!
एक बात कहूं ये अल्फ़ाज़ तुम्हारे लिए ही तो है ,
पर अ़फसोफ इन्हें सुनने के लिए मेरे साथ तुम्हीं नहीं हो !!

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15 DEC 2019 AT 19:17

जब माना अपना है तो उस पर उंगली उठाना कैसा ,
प्यार है ये साहब जरूरी तो नहीं हर कोई हो तुम्हारे जैसा !!
फिर भी किसी दूसरे के उसके गले लगने से तुम्हे दर्द होता है ,
तो भूल जाइए , आपको भी उससे प्यार नहीं वो सिर्फ खोने का डर होता है !!

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15 DEC 2019 AT 12:59

दिनों को सालों की तरह गुज़ार तो दिया था ,
फिर भी हाल ये दिल जानने का एक मौका मिला था !
आंखों से आंखे मिला , दिलों में गुफ्तगू होने लगी !
बेचैनी को छुपाने की भी कोशिश होने लगी !
पर क्या करते , सब बात तो वक्त की है ,
वरना यादें तो आज भी प्यार ही है !!
सिलसिला शुरू हुआ फिर से एक दूसरे को समझाने का ,
तभी कुछ याद आ गया !
अब कब रूबरू होंगे एक दूसरे के हम कहते ही , दोनों की आंखों में आसूं आ गया !!
कुछ कहते या समझाते कुछ भी रास ना आ रहा था ,
नम आंखे झूठी मुस्कान सब लहजे चुपचाप देख रहा था !!
हाथ को पकड़ वो मुझे घुमाना चाहती थी ,
पर सारी पाबंदियां उसे रोक लेती थी !
बढ़ते दो कदम तो हमारे भी थे ,
पर मज़बूरी में खुशियों से वो मुंह मोड़ लेती थी !!
बस ऐसे ही कुछ वादों कुछ सपनों का सहारा देकर आया हूं ,
हर बार की तरह फिर से एक झूठ बोल आया हूं !!

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