Shivaay Yaduvanshi   (Shivaay)
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Rompy
Joined 9 May 2019


Rompy
Joined 9 May 2019
25 AUG 2022 AT 23:57

वक्त गर न हुआ है तुम्हारा तो क्या,
कोई दर न हुआ है तुम्हारा तो क्या,
अपने उर में बसा लो जहान इक नया,
ये शहर न हुआ है तुम्हारा तो क्या.....!

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18 MAR 2022 AT 18:18

“रंगों की तासीर में बिखरे से हैं हम , बस खुद को मुकम्मल करने में बिखरे से हैं हम !! ”

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17 MAR 2022 AT 22:16

“या तो हमें मुकम्मल चालाकियां सिखाई जाएं,
या फिर मासूमों की अलग बस्तियां बसाई जाएं" !!
अज्ञात !

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12 MAR 2022 AT 15:31

ख़याल जिसका था , ख़याल में मिला मुझे ! सवाल का जवाब भी , सवाल में मिला मुझे ! अपने अमल का हिसाब क्या देते ? सारे सवाल गलत थे , जवाब क्या देते !!

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1 AUG 2021 AT 11:11

आज कल बाज़ार में ... पैसों की यारी चल रही हैं .....! कुछ दोस्त मिले...... वो भी पैसों की जिम्मेदारी पे चल रहे हैं ....।।

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9 JUN 2021 AT 8:05

चिराग कैसे अपनी मजबूरियाँ बयाँ करे, हवा जरुरी भी है....... और डर भी उसी से है..…............!

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6 APR 2021 AT 23:00

“संवारने ” को तो सारा , जहाँ बाकी है ...! “संवरने " को तेरा एक , शब्द ही काफी है ....।

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31 MAR 2021 AT 12:03

लफ्ज़ ,अल्फ़ाज , कागज़ , क़िताब सब बेईमानी है...! तुम सामने हो , मैं देखता रहूँ , बस इतनी सी कहानी है ...।

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28 JAN 2021 AT 11:47

The conservatism of apathy in art and literature, is the cause of insensitivity towards people suffering from depression.

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23 JAN 2021 AT 14:29

ये ज़मी , ये आसमां , ये सबा , यहाँ सब कुछ है !.... तेरे आने के, इल्म में , यहाँ सब खुश हैं!....

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