शिवान   (शिवान)
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क्या ही कहूं?
Joined 14 January 2018


क्या ही कहूं?
Joined 14 January 2018
13 JUN AT 12:11

लाख बद्दुआएं दो ज़मीन को मगर
कुछ लाशें दफ्न हैं आसमान में भी

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2 MAR AT 3:03

कितने तबादलों के बाद तुझ तक पहुंचे हैं हम
मौत तू हमसे हमारी तरक्की की दास्तां न पूछ

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18 AUG 2024 AT 2:34

सूंघ लेंगे हम जनाजे पर फेंके हुए फूल,
आदमियों को गुलाब वरना कौन देता है

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28 JUL 2024 AT 23:35

बिछड़ गया तुमसे तो बिखरा हुआ कहा जाऊंगा
ईंट गिरती है मक़ान से तो उसे आज़ाद नहीं कहते

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28 JUL 2024 AT 23:31

इतनी शिद्दत से चाहोगे फिर भी ढल जाएगा
हर शख्स यहां मौजूद इक इतवार जैसा है

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22 JAN 2024 AT 21:55

किसी शाम तेरी ज़ुल्फ से होकर गुजरूं
वो खुशबू तेरे बालों कि समेट लूं बाहों में

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30 DEC 2023 AT 22:46

यूं भी हो कभी कोई ऐसा तूफान आए,
मेरा दम तोड़े मेरी हस्ती उड़ा ले जाए

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22 JUL 2023 AT 0:10

आने वाले आते रहे बूंद बूंद करके,
जाने वाले आंखो में समंदर दे गए

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31 MAY 2023 AT 20:50

शाम तक सब लौट आए अपने अपने घर
सियासत में उलझा हुआ मेरा गांव न लौटा

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15 APR 2023 AT 23:04

ख्वाब टूट कर बिखरे होंगे कब्र पर,
मेरे किस्से ज़मीन में धंसे हुए होंगे,
बस आइना मेरा रोएगा फूट फूटकर
दोस्त मुझको देखकर सब हंस रहे होंगे

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