लाख बद्दुआएं दो ज़मीन को मगर
कुछ लाशें दफ्न हैं आसमान में भी-
शिवान
(शिवान)
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क्या ही कहूं?
Joined 14 January 2018
2 MAR AT 3:03
कितने तबादलों के बाद तुझ तक पहुंचे हैं हम
मौत तू हमसे हमारी तरक्की की दास्तां न पूछ-
28 JUL 2024 AT 23:35
बिछड़ गया तुमसे तो बिखरा हुआ कहा जाऊंगा
ईंट गिरती है मक़ान से तो उसे आज़ाद नहीं कहते-
28 JUL 2024 AT 23:31
इतनी शिद्दत से चाहोगे फिर भी ढल जाएगा
हर शख्स यहां मौजूद इक इतवार जैसा है-
22 JAN 2024 AT 21:55
किसी शाम तेरी ज़ुल्फ से होकर गुजरूं
वो खुशबू तेरे बालों कि समेट लूं बाहों में-
15 APR 2023 AT 23:04
ख्वाब टूट कर बिखरे होंगे कब्र पर,
मेरे किस्से ज़मीन में धंसे हुए होंगे,
बस आइना मेरा रोएगा फूट फूटकर
दोस्त मुझको देखकर सब हंस रहे होंगे-