शिवान   (शिवान)
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Self
Joined 15 October 2019


Self
Joined 15 October 2019
20 JUL AT 12:00

तेरे कहे को सच
तेरे झूठ को भी सच माना मैंने,
ये दिल कई बार टूटा,
आँखें कई बार जार जार हुई,
जीतना कभी सोचा न था
उतना तुमसे दर्द पाया मैंने।
_@shivanshayar



















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17 JUL AT 20:42

जो आसमाँ पर सुराख करने की ख़्वाब सजा रखे हैं,
जमीं के पत्थर को हीं हाँथों में उठा रखे हैं,

सूखी लकड़ियाँ तक हमसे न जलाई गई,
लोगों को लगता है हमने कईयों के घर उजाड़ रखे हैं,

तुम तो गैर हो तुम्हारी बात क्या करते,
हमें तो अपने हीं हत्यारे बनाये रखे हैं,

कोरे कागज पर लिखता हूँ हाल-ए-दिल अपना
सरेआम दिल की नुमाइश लोग लगा देते हैं

कहना चाहूँ भी तो किस से कहूँ दिल की बात,
बिना सुने हीं सब मुझको पत्थर दिल मान बैठे हैं ।
_@shivanshayar

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14 JUL AT 14:18

जब जरूरत होती है मुझे तुम्हारी,
तुम पास होते क्यूँ नहीं!
तुम कहते हो हमेंशा साथ हीं हो मेरे,
तो बुलाने पर मेरे तुम आते क्यूँ नहीं!

और ऐसा तो नहीं जिम्मेदारियाँ
सिर्फ़ तुम्हारे हीं काँधे पर हैं,
जो बहाने देते हो दस काम के,
काँधे मेरे भी हैं
निकम्मा आख़िर मैं भी तो नहीं।
_@shivanshayar

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12 JUL AT 15:14

वो गले मिलता है मगर दिल से नहीं लगाता,
मेरी कामयाबीयों पर वो ताली नहीं बजाता,
यूँ तो दिखावे के लिए खैरियत पूछ लेता है वो मेरी,
मग़र कहने को वो अपना है पर अपनों सा नहीं लगता।

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9 JUL AT 14:15

सुबह की किरण,
दोपहर का Rechargable चाय
शाम का सुकून
रात की लोरी हो तुम,

किताब, कपड़े, जूते,
पेट भर का खाना,
और हर tension में
Oxytocin हो तुम

पापा का डांट,
बाहर वालों का इनकार,
मेहनत की असफलता
फिर भी एक मुस्कान हो तुम,

हँसी की खनखनाहट
गम के आँसू,
हर हाल में जो हिम्मत बाधें
ऐसी वीरांगना माँ हो तुम,
माँ.....
_@shivanshayar



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9 JUL AT 11:27

गुस्सा, दुःख, दर्द, बेचैनी,
हँसी, खुशी, आँसू
क्या है!

कुछ नहीं बस एक
रूह से लगाओ के सिवा।
_@shivanshayar

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6 JUL AT 20:10

खुदा करे मुझे मौत आ जाए,
मग़र जब उसे याद आए मेरी
तो कहीं से भी मेरी उसको ख़बर ना आए,
ढूंढता फिरे वो एक झलक को मेरी ,
आग में राख हो जाऊँ,
पर मेरा जनाजा कभी उसके काँधे को ना आए,
फिर खोजे वो सुकून पूरानी बातों में हमारी,
दर्द-ए-एहसास हो ऐसा की उसे सुकून भी ना आए।
_@shivanshayar

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3 JUL AT 22:19

मैं पर्वत नहीं मगर मुझे मजबूत बनना होगा,
आँखें नदियाँ हैं तो इन पर पलकों का बांध बंधना होगा,
तो क्या हुआ कि आपदा अचानक आन पड़ी,
मैं तो राही हूँ हर हाल में मुझे चलना पड़ेगा,

जो नियत है नियती में वो हो कर रहेगा
मैं लाख अड़ जाऊँ जिद्द पर मेरा जिद्द नहीं चलेगा
युद्ध है तो योध्दा बन हीं जाऊँगा,
समय ने साँचा है हर हाल में चल लूँगा।
_@shivanshayar

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12 JUN AT 21:08

मुझे नहीं पता ईश्वर का स्वभाव कैसा है,
हाँ मग़र उसकी निर्दयीता मुझे तुम में दिखती है।
_@shivanshayar

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8 JUN AT 18:52

खामोश लब, बेचैन दिल,
टूटती उम्मीद, और बिखरे हुए ये आँसू

फिर भी मैं तुम्हारे साथ हूँ,
कमाल है,
मैं एक जिन्दा लाश हूँ!
_@shivanshayar


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