कि बस कोई न थी
ये आंख मेरी जब तलक रोई न थी-
क्यों गुल हो गये सारे चराग़ खुद ब खुद ही आज
किसे पता था तुम आओगे शाम को रौशन करने
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शबनम सी क्यों तैर जाती है पलकों पर हरेक बार
जब भी किसी की बात से मिलता है सुकून मुझे-
मुझे मालूम है, भले ही मुड़कर नहीं देखा था
उसने मुझे जाते हुये बहुत दूर तलक देखा था-
दिन तो हमेशा से ही अच्छे हुआ करते हैं
शुबहा सब लोग रातों पर किया करते हैं-
सर्दी खांसी ताप आया तो शंका हो गई ..का बा ?
पर डाक्टर अपना यार कहे है वायरल बुखार बा— % &-
कहीं और कहां वो लुत्फ जो दर्द ए जिगर में है
लब पर हैं तमाम बातें पर बात तो असर में है-
खुश हूँ तुमको वो अहद ऐ वफ़ा याद हैं
मेरे दिल से जो निकली थी वो सदा याद हैं
याद मुझको भी है सारी मेहरबानियाँ तेरी
फरियादों पर तुमने लिए वो फैसले याद हैं-
क्या करूँ ज़िक्र अपनी किस्मत की तंगदिली का भी
वो छज्जे पे तभी आये जव मैं राह से गुज़रा न था-