SHIVA KANT   (SHIVA KANT)
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Joined 11 September 2021


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13 JUN AT 22:16

ज़िन्दगी सब कुछ सिखाती है,
अपनों के अलग व्यवहार दिखाती है..!
लिखी कहानी जिसने भी अपनी,
ज़ालिम हमें ही ख़लनायक बताती है..!

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13 JUN AT 22:07

कुर्बान कर दो ख़्वाहिशें अपनी,नीलाम ख़ुद को चाहे यार करो..!
नसीब में नहीं जो ख़ुशियाँ चंद,फिर चाँद का क्यों दीदार करो..!

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10 JUN AT 15:58

तेरे इज़हार का इंतज़ार मुझे,एकतरफ़ा इश्क़ की राह पे धकेलता रहा..!
पतझड़ सी ज़िन्दगी में बहारों की चाह लिए,तन्हाईयों की दहाड़ झेलता रहा..!

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5 JUN AT 14:38

अपने घर में भी किरायेदारों जैसा,बर्ताव सह रहा हूँ..!
ये मरने के बाद दीवार पे टँगी,ख़ुद की तस्वीर से कह रहा हूँ..!

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26 APR AT 14:41

मुक़द्दर में मिला है वो चाँद सा महबूब,
हसीं ख़्वाब हुआ जैसे मुक़म्मल बख़ूब..!

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18 MAR AT 8:53

वो छोड़ चला यूँ दौड़ चला,ज़िम्मेदारियों से मुँह मोड़ चला..!
जाने अनजाने में दफ़्न कर ख़ुद को,बेरुख़ी का कफ़न औढ़ चला..!

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17 MAR AT 12:00

गोरे रंग से करें क्या,वफ़ा की उम्मीद..!
एहसासों को नोंचते हैं,बन के ये गिद्द..!

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14 FEB AT 12:22

तुम कह दो हाँ तो दिल पे,
ख़ुदा की जैसी रहमत है..!

मन में बसाया तुम्हें मैंने,
हाँ मुझे तुमसे मोहब्बत है..!

इश्क़ अथाह है सागर जैसा,
कहीं प्रेम यूँ गागर ऐसा..!

मन के महल में मेहरबाँ,
शामिल सदा बरकत है..!

क़ैद ख़्वाहिशें आज़ाद हुई तो,
लगे ख़्वाबों के सुन्दर दरख़्त हैं..!

टूटे बिखरे दिल के मकाँ में,
तेरी चाहतों से केवल मरम्मत है..!

तुम हो हसीं मल्लिका-ए-हुस्न,
तुमसे ये जीवन जन्नत है..!

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12 FEB AT 12:46

ज़िन्दगी हसीं नज़र आने लगी है,
चाहतों की जबसे नज़रें उतारी..!

सुकूँ के पल क्या आज क्या कल,
गुज़र जाने दो लम्हों को बाँहों में तुम्हारी..!

खिलते ग़ुलाब महकते जज़्बातों से,
एहसासों की एक मुलाक़ात हुई प्यारी..!

क़ैद इश्क़ में रह कर हम तो,
ख़्वाहिशों की भरे हैं अलमारी..!

ख़्यालों में खो कर होकर तुम्हारे,
ख़्वाबों में मिलन की चले करने तैयारी..!

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11 FEB AT 14:46

वादा करो वास्तविकता में,निभाओगे साथ जीवन भर..!
ऐसा न हो जाये जवानी,अकेलेपन में जाये गुज़र..!

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