SHIVA KANT   (SHIVA KANT)
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Joined 11 September 2021


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Joined 11 September 2021
26 APR AT 14:41

मुक़द्दर में मिला है वो चाँद सा महबूब,
हसीं ख़्वाब हुआ जैसे मुक़म्मल बख़ूब..!

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18 MAR AT 8:53

वो छोड़ चला यूँ दौड़ चला,ज़िम्मेदारियों से मुँह मोड़ चला..!
जाने अनजाने में दफ़्न कर ख़ुद को,बेरुख़ी का कफ़न औढ़ चला..!

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17 MAR AT 12:00

गोरे रंग से करें क्या,वफ़ा की उम्मीद..!
एहसासों को नोंचते हैं,बन के ये गिद्द..!

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14 FEB AT 12:22

तुम कह दो हाँ तो दिल पे,
ख़ुदा की जैसी रहमत है..!

मन में बसाया तुम्हें मैंने,
हाँ मुझे तुमसे मोहब्बत है..!

इश्क़ अथाह है सागर जैसा,
कहीं प्रेम यूँ गागर ऐसा..!

मन के महल में मेहरबाँ,
शामिल सदा बरकत है..!

क़ैद ख़्वाहिशें आज़ाद हुई तो,
लगे ख़्वाबों के सुन्दर दरख़्त हैं..!

टूटे बिखरे दिल के मकाँ में,
तेरी चाहतों से केवल मरम्मत है..!

तुम हो हसीं मल्लिका-ए-हुस्न,
तुमसे ये जीवन जन्नत है..!

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12 FEB AT 12:46

ज़िन्दगी हसीं नज़र आने लगी है,
चाहतों की जबसे नज़रें उतारी..!

सुकूँ के पल क्या आज क्या कल,
गुज़र जाने दो लम्हों को बाँहों में तुम्हारी..!

खिलते ग़ुलाब महकते जज़्बातों से,
एहसासों की एक मुलाक़ात हुई प्यारी..!

क़ैद इश्क़ में रह कर हम तो,
ख़्वाहिशों की भरे हैं अलमारी..!

ख़्यालों में खो कर होकर तुम्हारे,
ख़्वाबों में मिलन की चले करने तैयारी..!

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11 FEB AT 14:46

वादा करो वास्तविकता में,निभाओगे साथ जीवन भर..!
ऐसा न हो जाये जवानी,अकेलेपन में जाये गुज़र..!

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10 FEB AT 16:11

तोहफ़े में जो चाहो चाँद सितारे,नज़ारे इश्क़ के दिखा देंगे..!
कोमल हृदय तुम खिलता गुलाब,ख़्वाबों का तालाब ख़ुद को बना लेंगे..!

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8 FEB AT 13:06

इज़हार-ए-मोहब्बत करते करते,
इश्क़ मुक़म्मल हो ही जायेगा..!

ख़्यालों से निकलकर ख़्वाब,
हक़ीक़त में अव्वल हो ही जायेगा..!

चाँद की चाह रखने वालों का,
जहाँ उज्जवल हो ही जायेगा..!

पीछे छूटे ख़्वाहिशों का एकल,
ख़ुशियों का कुम्भस्थल हो ही जायेगा..!

कीचड़ जैसी परिस्थियों में भी,
जीवन खिलता कमल हो ही जायेगा..!

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6 FEB AT 13:51

तेरे क़दमों के निशाँ मेरे दिल की जमीं पे,
इस कदर शोभा बढ़ाते रहे..!
मोहब्बत के विधालय में दिन प्रतिदिन,
तेरी चाहतों के किस्से पढ़ाते रहे..!

बिन गए मधुशाले एहसास,
शराबियों की भाँति लड़खड़ाते रहे..!
बहेलिया बन बैठे ज़माने वाले,
इश्क़ के पँछी डाल से उड़ाते रहे..!

दिल में रहकर क़ैद जज़्बात जानी,
खुले आसमाँ से आवाजें लगाते रहे..!
ख़्यालों में तेरे रहने वाले सदा यूँ,
बुलंदियों पे मोहब्बत पहुँचाते रहे..!

स्वर्ग के सफ़र सी हसरतें मेहरबाँ,
मन के महल में सँवारते रहे..!
तेरे साये को भी सनम यूँ,
हमसफ़र सा स्वीकारते रहे..!

ख़्वाबों में तेरी ख़ूबसूरती को,
ये आईने हुस्न के निहारते रहे..!
नज़र लगे न किसी की तुम्हें यूँ,
नज़रें बार बार उतारते रहे..!

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5 FEB AT 15:00

मुमकिन है मोहब्बत में महकते दिखे किरदार,
दिल रखना पड़ता है केवल नर्म और उदार..!

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