मै पामर हु परमेश तू हर ईश का है ईश्वर तू मै भले चाहे जीतलू वक्त का सारथ्य भी मै भले चाहे जीतलू काल का सारथ्य भी उस काल को धारन करता निलकंठ महाकाल तू अब क्या बताऊ नता तुझसे.... तेरा शिव हू मै मेरा शिव है तू!!
विरोध किंवा समर्थन हे एखाद्याच नाव, त्याची जात, त्याचा धर्म(relegion) या गोष्टींवरुन करावा की,त्याची भूमिका, त्याचा विचार, त्याच काम आणि त्याचा उद्येश्य यावरुन...?
कुछ फर्क है दिवाने दिवाने मे.. कोई विरोध करणे बाहर निकलता है तो कोई इमदाद करणे... कैसी सोच है इनकी किसी का मजहब खतरे मे है तो किसी का देश... कैसी तालीम है इनकी कोई अराजकता का कारण बना है तो कोई उसका निवारण... ऐसे कर्म है उनके कोई अधर्म कर धर्मांध कहलाता है तो कोई धर्म कर इन्सान...
Shararat zindagi ne ki... Jaan se mulakat karvake.. Ab mulakat dosti aur dosti pyar me badal gayi... Jaan pe jaan lagate lagate... Pata hi nahi chala kab zindagi gujar gayi... Ant samay aya..... To bewafa jaan bhi chali ja rahi thi... Tab thoda piche mudkar dekha to khayal aya... .. Ki shayad zindagi ko ji lete..
कब तक सिने मे आग लिए सहना अगर सत्य है तू... तो चुप नही रहना... तुम निडर हो और काबिल भी, उडणा तय है, तो आसमान क्या देखना .... कर्म नेक हो....तो अंजाम से क्या डरना, अगर सत्य है तू... तो चूप नही रहना...