Shiv Yaduvanshi  
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Joined 4 March 2020


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Joined 4 March 2020
28 APR AT 9:25

𝕄𝕪 𝔻𝕣𝕖𝕒𝕞 𝔻𝕖𝕤𝕚𝕣𝕖

In the deserted road I am all alone
Setting the way of destiny and time tone
With the unburnt fire and flint stone
It's a desire or an appetite...
No matter what, when it's own.

When I will seak, get helped by dead bone
Shall try to keep my stick in right zone,
If by chance, perhaps I would get thrown
Will train myself to smile in moan,

Although if anyhow, I won't reach my throne,
I must be happy, as I followed dream cone,
It's a desire or an appetite...
No matter what, when it's own.

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17 APR AT 21:09

कि फैसला फासलों का करके, वो हमसे दूर हो गए
न होकर भी महफ़िल में, वो मशहूर हो गए
कि ठुकरा कर मांग चार कदम साथ चलने की.. -(2)
दूसरो की ख्वाइशों में वो 'बेसक' और 'ज़रूर' हो गए।

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15 APR AT 7:54

जल के मैंने तेरे खातिर,
खुद को राख बनाया था।
होकर फना इश्क में मैंने,
एक हसीन सा तौफा लाया था।
कि बड़े सिद्धत से चाहा था उसको...
कमबख्त ! मेरे इश्क पे मुकद्दर का साया था।

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13 NOV 2023 AT 19:57

सिहाई में छिपे लब्ज़ और आंखों में कैद कुछ गम हैं,
कुछ अधूरी बातें और थोड़े अधूरे हम हैं,,
कि वो आके मुड़ गई..
फराज..! ये वक्त भी कितना बेरहम है।

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4 FEB 2023 AT 19:29

है लाखों गढ्ढे उसमें भी,, वो भी कभी टूटा होगा..
खफा होकर पूरे जहां से.. वो भी कभी रूठा होगा,
कि माना, वज़ूद उसका किसी और से है,
मुरशदद ! ये वज़ूद भी तो कभी झूठा होगा।

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4 FEB 2023 AT 19:17

कि सच कहते हैं लोग...
ये मोहब्बत बे मौसम बरसात ले आता है।
पर कमबख्त ! वो किसी के लिए बूँद की तरह बरसता है,,
और किसी के लिए बाढ़ ले आता है।

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4 FEB 2023 AT 19:11

My Dream says you are my life..

But, my life says you are just a Dream.

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27 JAN 2022 AT 10:41

तुम्हारी अच्छाइयों से इतनी अच्छी तरह वाकिफ हुए है हम की अच्छे चीजों को भी अच्छा कहना अब अच्छा नहीं लगता। — % &

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25 JAN 2022 AT 22:36

कि तुम्हारी बाहों में ये जिंदगी कट जाए
ठंडी-ठंडी हवाओं में तुम्हारे जुल्फ बिखर जाए
क्या है तेरी ऐहमीयत.. हम कैसे बताए,
साथ अगर तेरा हो तो याद वो खुदा भी ना आए,
कि अर्जी उस रब से बस इतनी सी है..
काशशश..! ये लम्हा यहीं ठेहेर जाए॥
— % &

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25 JAN 2022 AT 19:57

है कंधे पे जनाजा शहीद भाई का
और लवों पे दो अलफ़ाज़ इस तनहाई का..

दे दे अंतिम विदाई वीर को अपनी
बचे है अब कोई सपने नहीं,
है ख्वाहिश लोगों की ये.. चाहा ऐसा हमने नहीं,
और क्यों सफेद लिबास डाली हो भाभी !
..है क्या कोई गहने नहीं,
है रंग मेहंदी के हाथों में जिनकी
चूरीयां उसने पहने नहीं,

कि उठ जा अब ! क्यों तिरंगा ओढ सोए हो भईया
..ये गम मुझे सहने नहीं,
साथ चलने को कहता था तू..
निभाए कसमें तुमने नहीं,
कि छोड़ गया जिसके लिए तू मुझे -❷ .. देख भाई !
ये तो खुद के भी अपने नहीं
...ये तो खुद के भी अपने नहीं ॥— % &

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