Shiv Shilpi   (@kavi Shiv Shilpi)
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Joined 3 March 2020


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20 OCT 2024 AT 18:13

इस करवे में जो जल है भरा।
वो जल तो मेरे चाँद की प्यास है।।
करवाचौथ सिर्फ उत्सव नहीं,
दो दिलों के जुड़े रहने का विश्वास है।।

✍️कवि : शिव शिल्पी



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18 MAY 2024 AT 19:37

करके देख विश्वास तू
है किसी की आश तू।

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21 NOV 2023 AT 15:06



ये दिल वीरान रहने दो
लिखने दो सरल नगमे
कठिन अरकान रहने दो।
पहुंच जाए दिलों तक जो
मुझे वो बात कहने दो।
मैं परेशान हूं तो होने दो
पर मुझे मुझमें ही रहने दो।।

✍️शिव शिल्पी











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11 NOV 2023 AT 14:34

भरत के कठिन तप का फल आयेंगे
माता कैकई की दुविधा का हल आयेंगे
मंथरा शोक में है स्वयं के कुकर्म से
श्री राम उनकी मुक्ति का हल आयेंगे।।


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15 AUG 2023 AT 17:32

याद करो तुम वीर शहीदों के पावन फरमान को
सफल कभी न होने दिया है दुश्मन के अरमान को
याद करो भारत मां के पल पल के आह्वान को
लिए तिरंगा हाथों में लड़े गए बलिदान को।।

याद करो तुम विक्रम बत्रा जैसे वीर जवान को
कारगिल में बढ़ा दिया था भारत मां के मान को
गिरि शिखरों पर कदम रखे लिए हाथ पे जान को
याद करो तुम भारत मां के बेटों के बलिदान को।।


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30 JUL 2023 AT 9:47

तराशते रहो स्वयं स्वयं को मूर्तिकार से
ये रूप निखर आएगा स्वयं के प्रहार से


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17 JUN 2023 AT 11:21

मैं तुम्हारे सरल चक्षुओं को लिखूँ
तुम्हारे हंँसी इन लबों को लिखूं।
कलाई पे सजती चमकती हुई,
खनकती हुई चूड़ियों को लिखूंँ।।





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12 APR 2023 AT 17:00

सूर्य रश्मियों ने घेरा मुझे फिर बिखर गईं दहलान पर।
और पानी पीने चिड़िया आई वो बैठ गई मचान पर।।
पानी रख दूंँ प्याले में और दाना डाल दूंँ कोदो-कुटकी,
फिर सारी चिड़ियांँ आयेंगी जो उड़ गईं आसमान पर।।

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12 APR 2023 AT 9:22


पलकें उठीं मिली निगाहें
और वस्ल में शाम हुई।
तू आँखों से आँखों में उतरी
अब जिन्दगी तेरे नाम हुई।।


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2 APR 2023 AT 12:37

आने से तुम्हारे शामें हैं मुकम्मल
झूमे हैं सभी गुल रातें हैं मुकम्मल।
बन के हवा मैं जुल्फों को उड़ा दूँ
रुखसार तुम्हारा हो जाए मुकम्मल।
मैं नजरों से छूकर अधरों को तुम्हारे
मेरी जान करुँगा मैं इश्क मुकम्मल।

🖋️Writer: Shiv Shilpi













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