इस करवे में जो जल है भरा।
वो जल तो मेरे चाँद की प्यास है।।
करवाचौथ सिर्फ उत्सव नहीं,
दो दिलों के जुड़े रहने का विश्वास है।।
✍️कवि : शिव शिल्पी
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खुशबू वफा की बिखर जायेगी।"
*******SHIV SHILPI*****
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ये दिल वीरान रहने दो
लिखने दो सरल नगमे
कठिन अरकान रहने दो।
पहुंच जाए दिलों तक जो
मुझे वो बात कहने दो।
मैं परेशान हूं तो होने दो
पर मुझे मुझमें ही रहने दो।।
✍️शिव शिल्पी
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भरत के कठिन तप का फल आयेंगे
माता कैकई की दुविधा का हल आयेंगे
मंथरा शोक में है स्वयं के कुकर्म से
श्री राम उनकी मुक्ति का हल आयेंगे।।
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याद करो तुम वीर शहीदों के पावन फरमान को
सफल कभी न होने दिया है दुश्मन के अरमान को
याद करो भारत मां के पल पल के आह्वान को
लिए तिरंगा हाथों में लड़े गए बलिदान को।।
याद करो तुम विक्रम बत्रा जैसे वीर जवान को
कारगिल में बढ़ा दिया था भारत मां के मान को
गिरि शिखरों पर कदम रखे लिए हाथ पे जान को
याद करो तुम भारत मां के बेटों के बलिदान को।।
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तराशते रहो स्वयं स्वयं को मूर्तिकार से
ये रूप निखर आएगा स्वयं के प्रहार से
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मैं तुम्हारे सरल चक्षुओं को लिखूँ
तुम्हारे हंँसी इन लबों को लिखूं।
कलाई पे सजती चमकती हुई,
खनकती हुई चूड़ियों को लिखूंँ।।
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सूर्य रश्मियों ने घेरा मुझे फिर बिखर गईं दहलान पर।
और पानी पीने चिड़िया आई वो बैठ गई मचान पर।।
पानी रख दूंँ प्याले में और दाना डाल दूंँ कोदो-कुटकी,
फिर सारी चिड़ियांँ आयेंगी जो उड़ गईं आसमान पर।।-
पलकें उठीं मिली निगाहें
और वस्ल में शाम हुई।
तू आँखों से आँखों में उतरी
अब जिन्दगी तेरे नाम हुई।।
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आने से तुम्हारे शामें हैं मुकम्मल
झूमे हैं सभी गुल रातें हैं मुकम्मल।
बन के हवा मैं जुल्फों को उड़ा दूँ
रुखसार तुम्हारा हो जाए मुकम्मल।
मैं नजरों से छूकर अधरों को तुम्हारे
मेरी जान करुँगा मैं इश्क मुकम्मल।
🖋️Writer: Shiv Shilpi
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