मेरा समय मेरा ना हुआ
उनसे उम्मीद ही क्या रखते ।।-
दिल से तुम्हें भुला नहीं सकता ।।
पास तुम्हारे मैं आ नहीं सकता ।।
दर्द ओ गम में गुजारीं हैं कई रातें ,,
दर्द मेरा अब मैं,, गा नहीं सकता ।।-
मुझको और कितना बेचैन होना पड़ेगा ।।
तुमसे बढ़कर भी क्या, कुछ खोना पड़ेगा ।।
रेगिस्तान हो गयी हैं आंखें रोते रोते ,,
"सत्यम" अब और कितना रोना पड़ेगा ।।-
चाह कर भी तुमको दिलसे मैं भुला नहीं सकता ।।
दूर इतने हो गए हो कि मैं बुला नहीं सकता ।।
जाते जाते न रोने की कसम दे गए हो ,,
अश्क़ आंखों में भरे हैं पर खुद को मैं रुला नहीं सकता ।।-
अभी जैसा चल रहा है उसे वैसा चलने दो ।।
सूरज को पूरब से ही निकलने दो ।।
जंग ए मैदान में हम भी दो दो हाथ करेंगे ,,
पहले हमको जरा सम्भलने दो ।।-
लोग,, छोटे पौधों को लगा नहीं रहे और बड़ों को काट रहे हैं ।।
खुद से होता नहीं है कोई काम और छोटों को डांट रहे हैं ।।-
कयी बार मनाया था उसने ,,
जब जब मैं उससे नाराज़ था ।।....
हम उसको सिर्फ सताते रहे,,
वो सिर्फ मेरे प्यार का मोहताज था ।।
😔💔😔-
तेरे सिवा बात दिल की मैं किससे कहता ।।
मैं कोई दरिया तो नहीं था जो जमीं पे बहता ।।
बस गए मोहब्बत के शहर में अकेले आकर ,,
बेवफाओं के शहर में सत्यम कैसे रहता ।।-
खैरात मांगने आये थे वो ग़मो से मिलके ।।
खुशियां हमने उनकी झोली में भर दीं ।।-
क्या कुछ नहीं किया ।।
मैंने क्या सही किया ।।
जो तुमने था कहा ,,
काम मैंने वही किया ।।-