रिश्ता क्या है तेरा मेरा
समझ नहीं पाती
साथ रह नहीं सकती
और दूरियाँ सही नहीं जाती
दिल चाहता है बताना तुझको
कितना है ज़रूरी तेरा साथ मुझको
पर क्या करूँ हालात ऐसे हैं...
तुझको मेरी मजबूरी दिखाई नहीं देती
मुझको तुझमें वफ़ा की परछाईं नहीं दिखती
रिश्ता जो ज़माने ने बनाया था
उसको निभाने की तेरी चाहत नहीं लगती```
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But if you are, one line is enough …… !!!
दुनिया से क्यूँ शिकायत करें
जब मन ही हमारा हमारी ना सुने
दूसरों से क्यूँ उम्मीद करें
जब उम्मीदें हमारी हमसे ही रूठी हों
कैसे कह दें कि हम बेहतर हैं
जब हर किसी को हमसे शिकायत हो
कैसे मान लें कि हम बुरे नहीं हैं
जब बुरे भाव हमारे मन में भी आते हो
ये मानना भी आसान नहीं है कि हम निःस्वार्थ हैं
ये सोचना भी ग़लत है कि हम ग़लत नहीं हो सकते।
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जो चुप रहते हैं, वो झगडा नहीं चाहते।
हालात से वाकिफ, लडाना नहीं चाहते।।
तजुर्बा को इंसान, हल्के में लिया करते।
जो लोग हादसो से, सीखना नहीं चाहते।।
मुसीबत, कभी हौसलों को पस्त करती।
जो एकता में विश्वास, बढाना नहीं चाहते।।
यकीन मानो, हर समस्या का हल सम्भव।
कई लोग, परिवार को बताना नहीं चाहते।।
जख्म मिलेंगे 'उपदेश', जमाने में चलकर।
खुदगर्ज इंसान, वाम लगाना नहीं चाहते।।
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एक उम्मीद चाहिए, जिए जाने के लिए
एक बहाना चाहिए, मुस्कुराने के लिए
दुःख के घने बादल छाए रहते हैं सदा
तो एक बूँद चाहिए, बरस जाने के लिए।
संघर्ष का दौर है छाया, सारे ज़माने भर में
कड़वाहट का शोर है आया, जाने किधर से
बुराई सर उठाती है आज के युग में देखो
एक मसीहा चाहिए, सुधार लाने के लिए।— % &-
फुर्सत नहीं मिलती
कोई काम भी नहीं रहता, और फुर्सत भी नहीं मिलती।
इस बेकरारी के आलम से दिल को राहत भी नहीं मिलती।
ऊब चुके हैं मेरे साहिब ये रोज रोज के कामों से,
दिल चाहे करने को जिसे वो कयामत भी नहीं मिलती।
डाल दे मुश्किलें राहों में, चाहे जितनी या खुदा,
तोड़ दे जो मेरा हौसला ऐसी कोई मुसीबत भी नहीं मिलती।
आईना भी हैरत में है वो आजकल, इसलिए कि,
सच्चाई दिख सके जिसमें अब वो सूरत भी नहीं मिलती।
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I am in Love with 3 people,
I, Me and Myself.
I don’t care what you think about me.
I don’t think about you at all.
I don’t compare myself with anybody.
I know I am the best in my own way.
I will not let anyone walk through
my mind with their dirty feet.
To love oneself is the
beginning of a lifelong romance.
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कभी इसका दिल रखा और कभी उसका दिल रखा,
इस कश्मकश में भूल गये, खुद का दिल कहाँ रखा.
अगर मगर काश में हूँ,
मैं खुद की तलाश में हूँ,
खो गया हूँ न जाने कहाँ
खुद को पाने की आस में हूँ.
खोज रहा हूँ कब से खुद में खुद को,
मुझ को मुझी में अक्सर, मैं नही मिलता.-