Shiv Priyam   (©️Shiv 'Priyam')
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Joined 20 April 2018


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21 JUN 2023 AT 0:33

वादियों में टहलने की ललक यूँ पूरी होती है
दो उँगलियों का हथेली पे चलना होता रहता है

कोशिशों के नतीजो की यादों को ताज़ा करना हो
आज भी हमारा पत्थर पे फिसलना होता रहता है

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31 DEC 2022 AT 23:45

Tomorrow is the first blank page of a 365-page book. With the hope you would write an excellent one I wish you and your family a wonderful new year!


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17 NOV 2022 AT 23:13

राज मेरे तेरी आंखों में तलाश रहे हैं लोग
जैसे के आप हमें कहीं बेहतर जानते हैं

जिन्हें ऊंचाइयों से गिराने में लगे हैं लोग
अरे! पहले से उड़ना वो कबूतर जानते हैं

बात ये है कि हममें कोई बात नहीं होती
वर्ना मेरे प्रश्नों का वो सटीक उत्तर जानते हैं

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17 NOV 2022 AT 22:48

वक्त जरा सर्द क्या हुआ अरमान ठिठुरने लगे
उसके दिल के शोलों को जैसे जाड़ा लग गया

यादों की गंध और गमों की सीलन सी है यहां
इश्क की किताब में कोई जैसे कीड़ा लग गया

अल्फाज़ की क़तार में वो आख़िर पहचाना गया
सीधी सीधी बातों में लफ्ज़ कोई टेढ़ा लग गया

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1 NOV 2022 AT 23:22

मुझे इंकार है मोहब्बत से
जिसके कोई काबिल न हो

डूबने से बचा कैसे जाए
जिस समंदर साहिल न हो

उम्र की कटी उंगली पकड़ चले
उस डगर जिसकी मंजिल न हो

मुझे इंकार है उस निगाह से
जुनूं में आंसू जिसके पागल न हो

पढ़ी लिखी मोहब्बत बेरोजगार है
खुदकुशी के ख्याल हावी न हो
इश्क न हो गर जाहिल न हो

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1 NOV 2022 AT 22:54

काश तुझे हम जान जाते
जान से जाते तो जाते-
जिंदगी से तो न जाते
तेरी सादगी गर पत्थर न होती
टूटने का इतना शोर न होता
ये धड़कन भी पत्थर न होती
काश तुझे हम जान जाते
तुम इधर जाते तो हम उधर जाते
रास्ते का पत्थर बन बैठे हैं हम
इरादे सफर के न हम से ठोकर खाते
काश तुझे हम जान जाते
जान से जाते तो जाते
तेरे जहान से तो न जाते
दुनिया का इक टुकड़ा मेरे हिस्से होता
काश तुझे हम जान जाते

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1 NOV 2022 AT 1:39

बात को यहां तोलता नहीं कोई
गर तोले तो बोलता नहीं कोई

मुफ़्तखोरों में सच है महंगा बहुत
इसलिए मुंह खोलता नहीं कोई

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1 NOV 2022 AT 1:23

कमबख्त हाल ए इश्क में खुद पर हंसी आती है
दर्द हर वक्त होता है चीख कभी-कभी आती है

तोहफा ए गुलाब वाह! क्या खूब कहो उनका!
शाख दिल में धंसी हो खुशबू तभी आती है

रातों के अंधेरे हांफ हाँफ के गिरने लगते हैं
वक्त यूं भागे, याद उनकी जब कभी आती है

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30 OCT 2022 AT 2:46

ऐसा क्या! कुछ घट जाए मुझसे
कि उसका कुछ जुड़ जाए मुझसे!

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14 OCT 2022 AT 22:50

तेरा पास होना कि सब होना
जर्रे जर्रे में तू यूँ कि रब होना

ये तेरा इज़हार नहीं तो क्या है?
मेरे हर हर्फ़ का तेरे लब होना

तेरा जो सोचूँ उसे मेरा कह दो
फिर जब चाहो मेरा तब होना

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