जब मन शुद्ध विचारों में रम जाता है..तो किया हुआ कर्म पूजा बन जाता है।। ✍️ शिव प्रताप -
जब मन शुद्ध विचारों में रम जाता है..तो किया हुआ कर्म पूजा बन जाता है।। ✍️ शिव प्रताप
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कलयुग में लोगों का ज्ञानदिखाता है, सबसे बड़ा विद्वानपर मन की समरसता में छिपा,इस युग के हर इंसान की पहचान ✍️ शिव प्रताप -
कलयुग में लोगों का ज्ञानदिखाता है, सबसे बड़ा विद्वानपर मन की समरसता में छिपा,इस युग के हर इंसान की पहचान ✍️ शिव प्रताप
मिली नजर जब उनसेहसरत-ए-दीदार ने दिल को दस्तक दी ✍️ शिव प्रताप -
मिली नजर जब उनसेहसरत-ए-दीदार ने दिल को दस्तक दी ✍️ शिव प्रताप
रोशन होगा,एक दिन जहांहैवानियत छोड़कर, इंसान बनेगें लोग यहां निर्मल हृदय का तिलक कर निकलेगें लोग जहांसुदृढ़,सुविकसित, सद्गुणी बनेगा समाज वहां ✍️शिव प्रताप -
रोशन होगा,एक दिन जहांहैवानियत छोड़कर, इंसान बनेगें लोग यहां निर्मल हृदय का तिलक कर निकलेगें लोग जहांसुदृढ़,सुविकसित, सद्गुणी बनेगा समाज वहां ✍️शिव प्रताप
चलो! उम्मीदों को फिर से जगाते हैं।जीवन को एक नई राह दिखाते हैं ।। ✍️शिव प्रताप -
चलो! उम्मीदों को फिर से जगाते हैं।जीवन को एक नई राह दिखाते हैं ।। ✍️शिव प्रताप
मैं परिंदा बेखबरभटक रहा इधर उधर गुम होकर इस भंवर मेंभूल चुका खुद की डगर -
मैं परिंदा बेखबरभटक रहा इधर उधर गुम होकर इस भंवर मेंभूल चुका खुद की डगर
जब दिल टूट जाएअपनों का दामन छूट जाएतब तुम मेरे पास आना प्रिये।जीवन से विश्वास उठ जाएलोगों का संताप बढ़ जाए तब तुम मेरे पास आना प्रिये। ✍️ शिव प्रताप -
जब दिल टूट जाएअपनों का दामन छूट जाएतब तुम मेरे पास आना प्रिये।जीवन से विश्वास उठ जाएलोगों का संताप बढ़ जाए तब तुम मेरे पास आना प्रिये। ✍️ शिव प्रताप
देखो आई मौसम की बेलामन भावन ऋतुओं का मेला।संग लेकर ज्ञान का प्रकाशआओ बनाएं बसंत पंचमी का त्योहार।। -
देखो आई मौसम की बेलामन भावन ऋतुओं का मेला।संग लेकर ज्ञान का प्रकाशआओ बनाएं बसंत पंचमी का त्योहार।।
जिसे संजोए रखा जाता है।न दिखाया जाता न ही जताया जाता हैबस निभाया जाता है।। -
जिसे संजोए रखा जाता है।न दिखाया जाता न ही जताया जाता हैबस निभाया जाता है।।
अल्फाजों के समंदर में, ये लब्ज तुम्हारे होंगे।लिखुंगा अपनी कलम से दीदार करने वाले ये लोग होंगे।। ✍️ शिव प्रताप -
अल्फाजों के समंदर में, ये लब्ज तुम्हारे होंगे।लिखुंगा अपनी कलम से दीदार करने वाले ये लोग होंगे।। ✍️ शिव प्रताप