Shiv Lakhara  
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Joined 31 October 2020


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Joined 31 October 2020
23 JUL 2023 AT 22:25

बदले में उसने ऐसी निशानी दी,
इश्क किया कि मेहरबानी की।

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4 JUL 2021 AT 1:09

तेरा जो सवाल है
एक वही मलाल है।
वक्त ठहरा पात पात
हम ठहरे डाल है।
वही है तेरा भी
मेरा जो हाल है।
धूप, बारिश, चांद ओ' तारे
बस तेरा जमाल है।
वो जमाने सा नही है
उसकी रगों में उबाल है।
मै अपना दर्द सुना रहा हूं
तुम कहते हो कमाल है।
तुझे मुझसे जुदा करे
किसकी मजाल है।

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26 NOV 2021 AT 23:11

आंखों में ही जलाया, बुझाया जाए
फिर किसी ख़्वाब को दास्तां बनाया जाए।

घूमता रहता है मेरे गिर्द, सामने नहीं आता
इसी सलीके से इक रोज़ उसे सताया जाए।

पूछ पूछकर जाते है मगर आवाज़ नहीं देते,
अपने हालात का भी इश्तिहार बनाया जाए।

वो किसी राह है कि लौट नहीं सकता
मुझे अब भी ये कि उसे बुलाया जाए।

इस पेड़ से ओस भी गिरती है धूप भी
"शिव" यहीं अपना आंगन बनाया जाए।
- कुमार शिव

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16 NOV 2021 AT 7:22

मैं कौन?

एक बेखबर,
जिसे सिर्फ तेरी खबर!

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5 NOV 2021 AT 22:06

























...i

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31 OCT 2021 AT 21:15

....

















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29 OCT 2021 AT 20:29

तुम इस तरह आना....



















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23 OCT 2021 AT 22:55

दरकार...

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15 OCT 2021 AT 0:34

तेरी बातें हुई अच्छा लगा
ताज़ा यादें हुई अच्छा लगा।
वस्ल के दिन‌ भले थे
हिज़्र की रातें हुई अच्छा लगा।
नादां दिल को कौन समझाए
तलब की बरातें हुई अच्छा लगा।
ये तेरा सलीका है तो खेलेंगे जिंदगी
दरम्यां बिसातें हुई अच्छा लगा।
Lakecity |15.10.2021 | 00:35

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13 OCT 2021 AT 22:39

बातें बनाना,




साथ निभाना।


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