हाथों में चूड़ियां, कानों में झूमके ओर माथे पे बिंदी काली लगाने लगी हो..... सुना है कि अकेले में किसी को सोच के पागलों की तरह तुम मुस्कुराने लगी हो.... होकर तैयार तुम शीशे के सामने खुद पे इतराने लगी हो, कही ऐसा तो नहीं कि तुम किसी को चुपके चुपके चाहने लगी हो....