शिव की लेखनी   (शिव सिंह)
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Joined 18 December 2020


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यादों के बिना,इस मोहब्बत में सहारा बनेगा कौन
सब तूफान ही बन जाएंगे तो किनारा बनेगा कौन
जिसे देखो, अपनों के भेष में, बेगाने ही बेगाने हैं
अगर वो भी किसी और के हैं, हमारा बनेगा कौन

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आसान बहुत लगता है दूर होना,
पर इश्क़ निभाना मुश्किल है
मोहब्बत ऐसा उफान मारता दरिया है,
जिसका न कोई साहिल है
बेहिसाब मिलेगा इसमें, दर्द और
जागती हुई रातों के काफिले
सिवाय, तन्हाई और रुस्वाई के,
इश्क़ में ना कुछ भी हासिल है

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मेरे दिल की बातें दिल तक तेरे, पहुंचाएं कैसे
तू चाँद आसमां का, मैं जमीं, गले लगाएं कैसे
मेरी ज़िंदगी, मेरे ख्वाब, मेरे ख्याल में तो तू है
तेरे ख्वाबों, ख्यालों, आगोश में हम आये कैसे

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रात हसरत लिए, सारी रात इंतज़ार करती रही
तेरी यादें, मेरी नींदों को, बेज़ार यार करती रही
तेरे जाने के बाद, सुकून गुजरे जमाने की बात है
तेरे ख्याल, पूरी रात भर हमे बेकरार करती रही
ना तूने कभी मुझे समझा ना मेरा इश्क़ ही समझे
मेरी आशिक़ी, तेरी बेरुखी से ही प्यार करती रही

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तेरा इश्क़ पाने की उम्मीद है, यकीन है तेरा हो जाने की
तेरी गोद मे सर रखकर, तेरी जुल्फों के छांव में सो जाने की
इस दुनिया से दूर, ऐसी दुनिया, जहां सिर्फ हम दोनों हो
तू मेरी नज़र और मैं तेरी, निगाहों के रास्ते मे खो जाने की

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दर्द का सागर है मोहब्बत, इश्क़ गमों का दरिया भी है
उसी में उम्मीद की नौका है, हसरत की मछरिया भी है
सुकून का जाल बिछाकर, तेरी मुस्कान फँसानी है हमें
तू ही मेरा दर्द बेहिसाब है, तू ही चैन का जरिया भी है

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जहां मौत मुक़द्दस है, वहाँ जीने की हसरत हो तुम
मेरे इश्क़ में दिन दूनी, रात चौगुनी, बरकत हो तुम
पता नही कब, कैसे हुआ, लेकिन अब तो हो गया
मेरी चाहत, ज़रूरत, खूबसूरत सी मोहब्बत हो तुम

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आंखों में चुभ रहा है गम,
या तेरी दुरियों से है नम
तू खुश रह अपनी दुनिया मे,
तेरे इश्क़ में तबाह हम
अब ये गम भी, रोज़ की आदत
जैसा बनने लगा है
अब या तो तू मिल या,
मेरी मौत मिलेगी मंझे सनम

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ए रात, ज़रा मेरे ख्वाबों मे, इतना बदलाव कर देना
बड़े दिन धूप में कटे, रात जुल्फों की छांव कर देना
कब तक सीधे रास्तों पर, चलकर ठोकरें खाते रहेंगे
ज़रा ज़िन्दगी में उसकी कमर जैसा घुमाब कर देना

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परछाई का पीछा करते करते, अंधेरे में समा गए हम
जिस्मानी दूरियां बनी रही, दिल के करीब आ गए हम
तेरे मिलने से पहले, तुझसे दूर होने के बाद ज़िन्दगी में
अश्को से ही प्यास बुझाई और तन्हाई को खा गए हम

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