Shitanshu   (Shitanshu)
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मन में चलती उथल-पुथल को स्याही से आकार दे देता हूँ✍️
Joined 5 November 2017


मन में चलती उथल-पुथल को स्याही से आकार दे देता हूँ✍️
Joined 5 November 2017
23 JUL 2023 AT 20:12

कुछ वक़्त गुज़रा है,
कुछ और गुज़र जाएगा।
गाड़ी रुकी है, रुकी रहेगी,
तुम्हें साथ लेकर जाएगी,
या यही दफ़्न हो जाएगी।

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16 JUL 2023 AT 19:43

ख़ुद को इल्ज़ाम लगा कर कब तक जियूँ,
थोड़ा ही सही मगर क़सूर तुम्हारा भी होगा !!

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20 JUN 2023 AT 20:01

जब रहा नहीं जा रहा था सुने ज़ुबानी तेरी,
तब मैंने तेरे लिखे कुछ बातें पढ़ी है…
वो नफ़रत निराशा और तुम्हारा ओछापन,
मुझे ताक़त देता है कुछ दिन और ठहरने को !

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11 JUN 2023 AT 7:19

बार-बार ‘गुलज़ार’ इन ज़ख्मों को हरा न करो,

मान लिया की… क़ाबिले-इश्क़ नहीं मैं !!

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10 JUN 2023 AT 14:26

अब क्या रह गया है जो मैं साबित करूँ,
चलो ले लो ये जान और मसला ख़त्म करो

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24 MAY 2023 AT 21:56

आँखों में तब भी देखा करता था
आँखों में अब भी देखा करता हूँ
तब इश्क़ था अब शक है !!

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7 MAY 2023 AT 9:03

“हम” से बने ‘तुम’ और ‘मैं’,
तुम ‘तुम’ बने रहे गर मैं ‘मैं’ न बन सका…

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7 MAY 2023 AT 9:01

आज धूल में पड़ी एक तस्वीर पर नज़र पड़ी,
थे उसमे हमलोग पर वो ‘मैं’ नहीं वो ‘तुम’ नहीं थे !

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2 MAY 2023 AT 0:54

कुछ अल्फ़ाज़ को तरस रहे थे

मजलिस हम यारों की,

गर पन्ने जो पलटे मेरी हयात के

महफ़िल मातम में बदल गया ।

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29 APR 2023 AT 13:47

मैं रिसता रहा ताउम्र तेरी बेमनद यादों में,
तुम्हें भी मुस्कुरातें वक़्त मेरा ख़याल आया होगा !

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