नामुमकिन कुछ भी नहीं तू हौसला तो रख…. कौन जाने बस एक आख़िरी इम्तिहान हो तेरा ये यक़ीन तो कर…. कब हारने दिया है परमात्मा ने अपने बच्चे को ये उम्मीद तो रख….. तू भी तर जाएगा बस दिल से एक अंतिम फ़रियाद तो कर…..।
नामुमकिन कुछ भी नहीं तू हौसला तो रख…. कौन जाने बस एक आख़िरी इम्तिहान हो तेरा ये यक़ीन तो कर…. कब हारने दिया है परमात्मा ने अपने बच्चे को ये उम्मीद तो रख….. तू भी तर जाएगा बस दिल से एक अंतिम फ़रियाद तो कर…..।
मन मस्तिष्क अब थक गया अब बस सोना चाहता है आँखें मिंच् माँ की गोदी में अब बस सोना चाहता है ख़्वाब सब्र सा इम्तिहान अब्र सा अब दिया ना जाता है कोई तो बस कब्र तक पहुँचा दे अब बस यह सोना चाहता है….। — शीतल सिंह —