shital Prajapati   (Shital kumari)
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Joined 10 August 2020


Joined 10 August 2020
2 OCT 2021 AT 13:55

शाम का वो मौसम था बहुत खुशमुना,
साथ में वो शक़्स दिलकश दिलनुमा।
कुछ अधूरे से सवाल,
और उनके अधूरे ज़वाब लिए,
बैठे हम खुले आसमान तले।
हाथों में हाथ और चेहरे पे गौर था,
दिल में भी कुछ हल्का सा शोर था।
डर था थोड़ा, पर खुशी उससे थोड़ी ज्यादा,
डर ऐसा था कहीं कुछ ग़लत ना हो जाए,
खुशी तो खैर साथ वक़्त बिताने की थी।
वक़्त कब तेज़ी से भागने लगा हमें कुछ ख़बर ना थी,
साथ बैठे तो थे हम पर दिल को सबर ना थी।
अब सूरज भी अपने घर लौटने को था,
चिड़िया भी निकल पड़े थे अपनी उड़ान लिए,
पर हमें कहाँ पता था वापस लौटने का ठिकाना,
मानो उस पल में ही पूरी जिंदगी जीने का मन था बनाया।
दिल में बहुत सी यादें और आँख में पानी लिए,
बेमन से ही सही पर वापस लौटना तो था,
और वादा दोबारा जल्दी मिलने का था।
बातें हमारी कभी ख़त्म होगी ही नहीं,
अग़र मुलाकात हमारी यूँ ही बेवक़्त बेखबर होती रहेगी।

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3 SEP 2021 AT 16:10

तुम्हारा जाना इतना ज़रूरी है क्या?
हाँ, ज़रूरी तो है...
शायद बहुत ज़रूरी है।
ऐसे शायद कहने से उम्मीद तो ना कि भी होती है,
हाँ, मगर थोड़ी कम।
फ़िर वापस कब आओगी तुम?
अभी ये बता पाना तो मुश्किल होगा।
प्लीज.... ऐसा नहीं कहो ना।
तुम आओगे क्या मेरे पास कभी?
नहीं,मैं यहाँ इंतेज़ार करूँगा तुम्हारा।
अच्छा..कब तक?
जब तक मुझे ज़वाब ना मिल जाए,
किस सवाल का?
तुम्हारा जाना इतना ज़रूरी था क्या?

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29 JUL 2021 AT 22:14

यूँ ही हमेशा साथ रहोगे ना मेरे,
हाँ...मैं जा ही कहाँ रहा हूँ?
फ़िर भी..अग़र वक़्त ने कभी हमें अलग कर दिया तो?
तो क्या..? हम फ़िर से मिलेंगें..
कहाँ मिलेंगें हम दोबारा?
ऐसे ही कहीं..किसी दूसरे मोड़ पर..
वहाँ भी तुम ही पहले बात करने आओगे ना?
नहीं.. इस बार मैं नहीं करूँगा शुरुआत,
पहल तब तुम्हें करनी होगी बात की।
ठीक है, मैं ही शुरू करूँगी तब।
तो फ़िर क्या कहोगी तुम मिल कर दोबारा?
मैं वही पूछूँगी तुमसे..
क्या पूछोगी?
यूँ ही हमेशा साथ रहोगे ना मेरे।

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27 JUL 2021 AT 20:17

दिल्ली में प्रकृति सुना रही कुछ ऐसा फरमान,
प्रवासी अब तुम गमन करो निज धाम।

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12 JUL 2021 AT 14:27

ज़रा सा प्यार तो तुझे भी हुआ होगा ना,
मेरा ये बेइंतहा प्यार देख कर।
थोड़ी सी याद तो ज़रूर आई होगी ना मेरी,
मेरा ये बेहिसाब इंतेज़ार देख कर।
ज़रा सा तो बुरा लगा होगा ना तुझे,
मेरा दिल यूँ काँच की तरह तोड़ कर।
थोड़ा दिल तो तेरा भी दुःखा होगा ना,
मुझे इतने ज्यादा दर्द में देख कर।
कहो ना..कुछ तो असर हुआ होगा ना,
मेरी ये कविता पढ़ कर।

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5 JUL 2021 AT 16:06

तुम्हें नहीं लगता क्या..
तुम कुछ ज्यादा झूठ बोलते हो!
क्यों अब क्या झूठ कहा मैंने?
कुछ सच भी तो नहीं कहा है तुमने,
क्या मतलब हैं इसका?
कुछ नहीं.. रहने दो...
वापस मिलने कब आओगे?
तुम कहो तो मैं कहीं जाऊँ ही ना,
अच्छा..मैं रोकूँ तो क्या तुम रुक जाओगे ?
तुम कोशिश करके देख लो।
ठीक है।
तुम रुकना चाहते हो क्या?
उम्म..हाँ।
मैं फ़िर से वही कहूँ?
क्या? कहो ना...
तुम्हें नहीं लगता क्या...
तुम कुछ ज्यादा झूठ बोलते हो।

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1 JUL 2021 AT 15:44

थोड़ी देर रुक सकते हो क्या?
हाँ! पर मेरे यहाँ रुकने से कुछ ठीक हो पाएगा क्या?
तुम्हें क्या लगता है?
शायद अब नहीं! क्योंकि कुछ ज़्यादा ही उलझ गए है हम!
ऐसा है, तो फ़िर चले जाओ!
हम्म! दोबारा कभी मिलोगे मुझसे?
ये तो वक़्त के ऊपर है ना,
वैसे भी हमारे हिसाब से कहाँ ही कुछ हुआ है आज तक!
अच्छा एक बात बताओ..
कभी हम कहीं टकरा गए...तो क्या कहोगे?
वही...
क्या?
थोड़ी देर रुक सकते हो क्या?

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27 JUN 2021 AT 23:10

तेरी कसमें, तेरे वादे,
वो सारी मीठी मीठी बातें,
जो हम रात में दिल खोल कर किया करते थे,
कितना प्यारा वो लम्हा गुजर गया,
क्या वो सब झूठा था?
जो तू इस कदर अपनी बात से मुकर गया।
पता है तुझे!
भूल कर भी मैं तुझे भूल नहीं पाती हुँ,
सुलझाना जो चाहूँ खुद को,
तेरी यादों में उलझती ही चली जाती हुँ,
ना चाह कर भी तेरे ही अफ़साने लिखती हूँ।
सुनो...ये तो महज़ वक़्त है,
ये फ़िर निकल जायेगा,
तेरी तरह ये भी बदल जायेगा।

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25 JUN 2021 AT 0:05

प्यार करते हो मुझसे?
इसका ज़वाब देना इतना जरूरी है क्या?
मेरे लिए तो ज़रूरी है जानना..
पता नहीं मुझे!
ये कैसा ज़वाब हुआ?
बस यही है ज़वाब!
कभी तो सीधे से ज़वाब दे दिया करो ना,
काफ़ी मुश्क़िल सा लगता है...
तुम इसको आसान भी कर सकते हो,
कैसे?
इसका ज़वाब दे कर,
कौन से सवाल का?
प्यार करते हो मुझसे?

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23 JUN 2021 AT 23:44

फिर मिलने आओगे ना?
शायद हाँ आऊँगा...
ऐसे शायद कहोगे तो फ़िर उम्मीद सी दे जाओगे तुम।
हो सकता है, "मैं चाहती भी वही हूँ"।
तुम इतना उलझाते क्यों हो?
तुम पहले ही उलझी सी लगती हो..
तुम सुलझाते क्यों नहीं?
कोशिश तो की थी मैंने..
पर कुछ सुलझा नहीं।
एक आखिरी बार फिर से सही...
नहीं...आज वक़्त नहीं है,
तभी तो पूछा ना मैंने..
क्या??
फिर मिलने आओगे ना?

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