Shishank Singh   (shishank)
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Joined 19 October 2017


Joined 19 October 2017
3 SEP AT 11:33

दोस्ती कभी बदलती नहीं है,
बस ज़रूरतें बदल जाती हैं।
दोस्ती निभाई नहीं जाती,
वो तो ख़ुद-ब-ख़ुद निभ जाती है।

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19 AUG AT 18:41

जब मन वास्तविकता के अधीन हो जाता है,
तो मोह को त्यागना और भी आसान हो जाता है।

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11 AUG AT 13:38

मेट्रो में कट रही है ज़िन्दगी मेरी,
जीना तो बस शाम को आता है।
दिनभर भीड़ में मुखौटे सजाता हूँ,
घर की दहलीज़ पर उन्हें उतार आता हूँ।

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25 JUL AT 8:25

हर दिशा में चिथ हुआ व्यक्ति, सहारा भी ढूंढना छोड़ देता है,
थक गया है मन, अब तो खुद से भी शिकायत नहीं करता,
बिखरा हुआ सा है, मगर सँभलने की चाहत नहीं करता।

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21 MAY AT 8:08

रणछोड़ बन जिसने धर्म बचाया था,
वंश-विनाश कर भी धर्म को जिताया था।
हे पार्थ! नियमों में बंध कर धर्म कैसे पाओगे?
वो कृष्ण ही तो थे, जिन्होंने अधर्म से भी धर्म रचवाया था।

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20 MAY AT 1:36

जंजीरों में जकड़े हुए मेरे अरमान थे।
तोड़ने की कोशिश रोज़ की थी मैंने।
कुछ समय गुज़र गया, और जब पलट कर देखा — तो जंजीरें ही नहीं थीं।

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15 MAY AT 1:14

उम्र भर ढूँढा तुझे मैंने तेरे ही शहर में,
और तू मेरी राह, मेरे घर की चौखट पर ताकती रही।

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26 FEB 2024 AT 0:53

वक़्त ने कुछ इस तरह से तोड़ दिया है हमें
की शायरी में जिंदगी तलाशते हैं
और मयखानो खुशियाँ

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15 NOV 2023 AT 20:19

An ordinary person trying to live an extraordinary life, Getting knocked down in every direction

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9 SEP 2023 AT 22:49

अगर आंसू ला सकते हो आँखों मे तभी दुखी मानेगी यह दुनिया तुम्हे।

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