दोस्ती कभी बदलती नहीं है,
बस ज़रूरतें बदल जाती हैं।
दोस्ती निभाई नहीं जाती,
वो तो ख़ुद-ब-ख़ुद निभ जाती है।-
जब मन वास्तविकता के अधीन हो जाता है,
तो मोह को त्यागना और भी आसान हो जाता है।-
मेट्रो में कट रही है ज़िन्दगी मेरी,
जीना तो बस शाम को आता है।
दिनभर भीड़ में मुखौटे सजाता हूँ,
घर की दहलीज़ पर उन्हें उतार आता हूँ।-
हर दिशा में चिथ हुआ व्यक्ति, सहारा भी ढूंढना छोड़ देता है,
थक गया है मन, अब तो खुद से भी शिकायत नहीं करता,
बिखरा हुआ सा है, मगर सँभलने की चाहत नहीं करता।
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रणछोड़ बन जिसने धर्म बचाया था,
वंश-विनाश कर भी धर्म को जिताया था।
हे पार्थ! नियमों में बंध कर धर्म कैसे पाओगे?
वो कृष्ण ही तो थे, जिन्होंने अधर्म से भी धर्म रचवाया था।-
जंजीरों में जकड़े हुए मेरे अरमान थे।
तोड़ने की कोशिश रोज़ की थी मैंने।
कुछ समय गुज़र गया, और जब पलट कर देखा — तो जंजीरें ही नहीं थीं।-
उम्र भर ढूँढा तुझे मैंने तेरे ही शहर में,
और तू मेरी राह, मेरे घर की चौखट पर ताकती रही।-
वक़्त ने कुछ इस तरह से तोड़ दिया है हमें
की शायरी में जिंदगी तलाशते हैं
और मयखानो खुशियाँ-
An ordinary person trying to live an extraordinary life, Getting knocked down in every direction
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