रणछोड़ बन जिसने धर्म बचाया था,
वंश-विनाश कर भी धर्म को जिताया था।
हे पार्थ! नियमों में बंध कर धर्म कैसे पाओगे?
वो कृष्ण ही तो थे, जिन्होंने अधर्म से भी धर्म रचवाया था।-
Shishank Singh
(shishank)
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Joined 19 October 2017
21 MAY AT 8:08
20 MAY AT 1:36
जंजीरों में जकड़े हुए मेरे अरमान थे।
तोड़ने की कोशिश रोज़ की थी मैंने।
कुछ समय गुज़र गया, और जब पलट कर देखा — तो जंजीरें ही नहीं थीं।-
15 MAY AT 1:14
उम्र भर ढूँढा तुझे मैंने तेरे ही शहर में,
और तू मेरी राह, मेरे घर की चौखट पर ताकती रही।-
26 FEB 2024 AT 0:53
वक़्त ने कुछ इस तरह से तोड़ दिया है हमें
की शायरी में जिंदगी तलाशते हैं
और मयखानो खुशियाँ-
15 NOV 2023 AT 20:19
An ordinary person trying to live an extraordinary life, Getting knocked down in every direction
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29 JUL 2023 AT 23:27
जब सही गलत की परिभाषा इंसान अपने अनुकूल बनता है। तब वहां पर सही और गलत का फर्क खत्म हो जाता है
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24 JUL 2023 AT 1:15
कुछ लोग खीचड़ होते हैं,
जिनको हाथ लगाने से सिर्फ आपके हाथ गंदे होंगे वो नहीं
करम करते रहो, बस करम करते रहो-
17 MAY 2022 AT 20:21
ख़ुशी के लम्हे खर्च करने मे इतने मशरूफ थे कि सोचा नहीं कभी ज़िन्दगी हिसाब मांग सकती है!
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