Shîprã Sïñgh Rájpùt   (✒Shipra🎭)
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Joined 10 February 2018


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14 JUL 2023 AT 18:16

मै बोलूं तब तो ,जब कोई समझने वाला हो
दस्ताये रहे न रहे,कोई तो रुकने वाला हो।।

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24 JUN 2023 AT 19:49

लोगों की भीड़ में क्या पाता है ज़िंदगी,
उलझनों से घिरा लापता है ज़िंदगी।।

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3 SEP 2022 AT 15:59

बीते लम्हों के कुछ यादें हो जाए
ज्यादा ना सही पर थोड़ी बातें हो जाए

आज मे नहीं... फिर कल में गुम हो जाए
चलो, उन लम्हों में खो जाए
अपना बचपन ढूंढ लाए,
वापस उन गलियों में घूम आए
चलो एक चाय हो जाए...!!

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3 SEP 2022 AT 15:39

my own deep thinking world...

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26 AUG 2022 AT 12:53

then we think that it will always be like this. Till the end.

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10 AUG 2022 AT 21:23

सफर यह था,
मंजिल समझकर छोड़ गए तुम...

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19 MAR 2022 AT 17:23

whenever I donno expect...

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19 MAR 2022 AT 17:13

this means that I am seeing the whole world from that room...

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16 MAR 2022 AT 0:39

पर ये शाम तो अपनी है..
'कल' की सोच के क्यों मे
'आज' गवा दूँ ...?
क्यों ना आज को ही जी के
आज से कल मे बना दूँ!!

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16 MAR 2022 AT 0:25

अच्छे लोगो मे,
"खुद को देखना"
भी खुद को अच्छा बनाने जैसा है..

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