शिल्पी कुमारी   (Shilpi Kumari.........✍️)
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Joined 24 September 2020


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Joined 24 September 2020

शीर्षक:- मैं ही तो मैं हूं।

मैं ! मैं हूं , हां मैं ही तो मैं हूं।
मैं वर्तमान हूं , मैं भविष्य हूं।
मैं नियति हूं , मैं कर्म हूं ।।
मैं धर्म हूं , मैं फल हूं । हां ! मैं ही तो मैं हूं ।।
मैं भाग्य रचने वाला, खुद के साथ चलने वाला।।
मैं! मैं हूं सबके दिल को जीतने वाला ।
हां मैं ही तो मैं! मैं हूं । मैं को स्थापित करने वाला। ।
स्वप्न को अपने दम पर साकार करने वाला
मैं! मैं हूं खुद का विश्वास जीतने वाला।
मैं स्वाभिमान हूं ।मैं बलवान हूं
हां मैं ही तो मैं हूं जगत को समझने वाला ।
खुद का विस्तार करने वाला ।
खुद से प्यार करने वाला ।।
मैं ! मैं ही तो हूं , ख़ुद पर अभिमान करने वाला
हां मैं ही तो मैं हूं। खुद के साथ चलने वाला ।
ख़ुद को भव सागर से पार करने वाला
मैं! मैं हूं इस संसार को समझने वाला ।।
हां मैं ही तो मैं हूं।।
अब ! तुम भी जान जाओ
ख़ुद को पहचानो तो सही
वक्त को एकदिन अपने हाथों के
कटपुतली जरूर बनाओगे ।।

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ख़ुशी में चाहें जितना भी भूल जाए पर ,गम में सिर्फ़ अपने ही याद आते हैं।

और जो आपको अपने गम में न सामिल करें , उसके ख़ुशी में आपके होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता,,,,! 🤷🙂

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शिर्षक :- हिंदी वरदान बनते जा रही है!

पहले अपरिचित थे अब पहचान बनती जा रही है!
इस पार्थिक जीवन में ,अब जान भरते जा रही है !
सिर्फ़ बातों का जरिया होंगी दूसरों के लिएं!
मेरे लिएं हिंदी तों वरदान बनती जा रही हैं !!
संस्कृत हैं जननी जिसकी , अब मां बनती जा रही है !
हिंदी सदियों से बोलियों को विस्तारित करती आ रही हैं!!
कितने भाषाएं आईं,गई और चली भी जाएंगी !
हिंदी हर भाषाओं की आधार बनती आ रही है!
मानसिकताएं है लोगों की क्या करेंगे हिंदी पढ़ कर ?
अजी देखिए तों सही, हर क्षेत्र में , भागीदार बनती जा रही है !!
शिक्षक , लेखक, पत्रकार यें तों हुईं योग्यता की बात!
हिंदी हर भावनाओं की सम्मान करतीं आ रही है ।
हिंदुस्तान शान,हिंदी स्वाभिमान बनती आ रही है!
मेरे लिएं हिंदी तों अब वरदान बनती जा रही है।

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ये तितलियां भी कमाल करती हैं
पसन्द हैं फूल और पत्तों से बात करती हैं

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किसी ने आवाज दी ?या कान बज रहे हैं मेरे?
किसी को भूल रही हूॅं या कुछ याद कर रहे हैं
सब तो गिनते है मुझे भी इंसानों में!
जिंदा हूं,की सिर्फ सास चल रहे हैं मेरे?

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बड़े बेशकीमती तौफ़ा थे वो ,जिनपे हम गुमान करते थे।
ख़ैर ,अब न वो हमें याद करते हैं न हम उन्हें याद करते है ।।

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शिक्षक दिवस कि हार्दिक शुभकामनाएं
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लाल रक्त के डोर से,लाल बनाकर पाले!
हॅंसना,बोलना ,चलाना ,जीनके दम पर जानें!!
पहली मां,दूसरे पिता,फिर गुरु, और गोविन्द!!
जिनके दम पर हम आज गुरु महिमा पहचानें!!
ये वो गुरु हैं जो बिना गुरु दक्षिणा लिए,
बने हुए हैं हमारे रखवाले!!
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अल्फाजो में क्या बयां करना ,जीवन में जो गुरु का महत्व है!
चौक से पेंसिल,तब कलम,अब कंप्यूटर का बटन हैं!!
जीनके वजह से ,अंधेरा से रौशन,अब सात रंगों का शहर है!!
क्योंकी शिक्षक हैं तो, सब संभव है!शिक्षक हैं तो संभव है!
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जीनके दम पर हम, सजाते हैं आंखों में तारे ,
जिन्होंने निस्वार्थ , बिछाएं है सितारे!
जीनके शरण में झुकतें हैं शीश हमारें!!
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शुक्रिया तो उनका होता , जो रास्ता दिखादे!
उनका कितना सुकरान?जिन्होंने सबके भाग्य संवारे!!
मेरा जीवन नदियां, ज़िंदगी एक भंवर हैं!
मेरे गुरु जी है खेवहियां, तभी तों हम बेफिक्र हैं!!
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क्या पाए हों जो खोने से डरते हों
कहां ठहरें थें जो गुम हैं, कहते हों
क्या आपके कोई गुरु नहीं ? गर हैं!
तो आगे बड़ो! ज़माने में क्यों उलझते हों?

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ए चांद बड़ा गुमान हैं तुझे अपने चमक पे!
पर तुम भी तो अंधेरे का इंतजार करते हों!!

माना की प्रिय है अंधेरा तुझे तो फिर,
अमावस्या को ,कहा विश्राम करते हों?

सुना है रोज जाते हो ,उनके घर तक ,
तो ,क्या तुम भी उनसे बात करते हो?

इतने ख़ामोश हो ,क्यों देख रहे हो मुझे?
बोल भी दो , किस बात पे नाराज रहते हों?

रोज़ पूर्णिमा रहतीं है न उनके आंगन में!
तभी तो , तुम दोनों आस-पास रहते हों!!

कभी तो हाल बता देते , मेरे शिवा की !
जिनके सर पे तुम विराजमान रहते हों!!

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काश ,,, मैं तितली होती!!
एक दिन ख्याल आया, काश मैं तितली होती!
पैर होते,पर होते , मस्त गगन में फिरती होती!
काश ,,, मैं तितली होती!!
ना कोई गम होता ,ना ही कुछ काम होता!
हर रंग की मैं भी अलग ही चमन होती!!
काश ,,, मैं तितली होती!
मेरे होने से,किसी को ना जलन होती!
मुझे खोने का, हर किसी को तड़पन होती!!
काश ,,, मैं तितली होती!
रोज़ नए नए संसार में, घूमती फिरती होती!
मैं भी किसी के मुस्कान की वजह होती !!
काश ,,, मैं तितली होती!
ना पैरों में बंधन, ना बातों में ज़हर होती!
रंग में, अपने ढंग में,हरदम मलंग होती!!
काश ,,, मैं तितली होती!
मायका है घर नहीं , ससुराल है पीहर नही !
इस बात से ,मैं भी हरदम बेखबर होती !!
काश ,,, मैं तितली होती!

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Yrr बड़ा अच्छा लगता हैं जब happy Birthday बोलते है लोग तब !!
पर ,"जियो हजारों साल "कह के ,,,,,,,,किस बात की दुश्मनी निकलते हैं?🤨🤨
ये भी नहीं सोचते ,किस हाल में जिएगा जब 80साल में ही लोग बूढ़े हो जाते हैं!!

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