शिल्पी  
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Joined 18 December 2019


Joined 18 December 2019
21 NOV 2020 AT 15:29

दुआओं में तुम थे,

पर किस्मत की रेखाओं में नहीं...

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17 NOV 2020 AT 12:45

कदम - कदम पर मुझे मिलती हैं सीमा रेखाएं,

किस - किस को लांघ कर तुम्हारे पास आऊं

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13 NOV 2020 AT 1:07

कभी सोचा ना था कि
इतनी बड़ी सजा देगी जिंदगी मुझे,
कि अपनी ही मौत के लिए दुआ करूंगी

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13 NOV 2020 AT 1:01

जिंदगी इतनी मजबुर क्यू हो जाती है कि मौत भी आसान लगने लगता है...

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31 JUL 2020 AT 19:47

हमारे पास बात करने को बात नहीं होती,
फिर भी हम बात करना चाहते हैं,
इससे खूबसूरत बात क्या होगी...

✍️ शिल्प

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19 MAY 2020 AT 13:41

मैंने कब चाहा
कि तुमसे इतनी दूरियां हो,
पर मेरे चाहने से क्या होता है...

✍️शिल्प

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19 MAY 2020 AT 10:48

अक्सर उग आते हैं ख्वाबों में उम्मीदों के दरख़्त,
चाहती हूं तुम्हारे आंगन की तुलसी पूजने का हक...
✍️शिल्प

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15 MAY 2020 AT 10:20

खुद को बदलना सीखो,
वरना वक़्त तुमको बदल देगा

✍️शिल्प

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15 MAY 2020 AT 10:19

खुद को बदलना सीखो,
वरना वक़्त तुमको बदल देगा

✍️शिल्प

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15 MAY 2020 AT 10:06




उसने अपने अरमानों को कभी अधूरा नहीं छोड़ा,
किसी भी कीमत पर हार नहीं मानी थी,
देर - सबेर, परिस्थितियों को हराकर,
किस्मत की रेखाओं को बदल लिया करती,
हालातों से लड़कर माँ के सपनों को साकार किया,
तो कभी माँ को दुनिया की अनछुए पहलुओं के रूबरू कराती,
भाई - बहनों को खुशियों की चाभी सौंप कर उनके साथ हर लम्हें को जिया करती,
दोस्तों के साथ बेफिक्र होकर पूरी दुनिया की सैर करती,
प्रेमी के साथ पहाड़ों पर खड़े होकर ज़ोर - ज़ोर से चिल्लाती,
कभी समुंदर किनारे सुकून के साथ अपनी कविताएं सुनाया करती,
बच्चों के साथ अपना बचपना जी लिया करती,
कभी बीच सड़क पर बारिश में भीगती हुई घंटो डांस करती,
तो कभी मिरर के सामने कहानियां पढ़ा करती,
दुखों के संसार से हटकर खुशियों का महल बना कर खुश रहती,
लोगों की परवाह किये बिना आज को जीती हुई सुकून से रहती,
जीवन के हर पल को रंगीन पन्नों से सजाया करती,
कल्पना की दुनिया में जीती हुई लड़की यथार्थ से परिचित थी,
इसलिए वह कल्पनाओं में ही अपने हर ख्वाब को पूरा कर लिया करती थी

✍️शिल्प







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