माना तू है सूत्रधार
हाथो में तेरे सबके तार
तेरी शह पे टिका संसार
ना हो अगर तो सब बेकार
कोशिश थी छोटी सी एक
दूं सपनों को अपने अकार
भूल हुई क्या मुझसे कोइ
छीन लिया यूँ मेरा संसार
@modashilpi-
तेरी तस्वीर का तसव्वुर भी
अब हकीकत है मेरे ख्वाबों का
मेरे हाथों की लकीरों में
जवाब छुपा तेरे सवालों का
सच कहूं तो भी झूट ही लगेगा
छोड़ अब वज़्न नही मेरी बातों का
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तेरे अंदाज़ ए बया की क्या तारीफ करूं
चाकू की धार पे हस्ते हुए बिछ जाए
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तेरे अंदाज़ ए बया की क्या तारीफ करूं
चाकू की धार पर हस्ते हुए कट जाए कोई-
समय की गति पर किसी का नियंत्रण नहीं है, कभी हवा से ज्यादा तेज कभी एक lamha सदियों बराबर. हम्म आज मेरा Waqt भी जाने क्यूँ थम सा गया. I वो इसलिए क्योंकि इंतजार था मुझे किसी का बहुत बेसब्री से.I उसने कहा वो 10 बजे पहुच जाएगा और अभी 9.50 हुए थे. ये 10 मिनट मेरी जान ले रहे थे. I
मैं कौन, मैं पार्वती, Mrs पार्वती मित्रा. Actually मेरे Nitin जी abroad settle हो गए. Wo sab गए, मैंने थोड़ा समय माँगा था कुछ अधूरे काम थे, आज मैं भी सब यही छोड़ कर जा रही हूं, हमेशा के लिये. I जाने से पहले एक बार मिलना था, शायद आखिरी बार.
उसने कहा था, वो आएगा ठीक 10 बजे पर अब तो 10.30 हो गए. I मेरी फ्लाइट भीतर है शाम ko, bacha सारा wakt उसके साथ बिताना चाहती thi, par अब mujhe fikr हो रही थी. वो समय ka boht पक्का था. पहले bhi jo समय देता था उससे पहले ही हाजिर रेहता था. Aj जाने kya baat hui.
अरे मैं hi बोले ja rahi hu, आप तो kuch bol ही nai रहे.
Chai wala: nai मेमसाहब, Acha lag रिया apki बातें सुनना, आप बोलते जाओ, मैं आपके लिए स्पेशल मसाला चाय aur बन मस्का बनाता हूं.-
ऐसा सितमगर सनम हमने है पाया
जब भी मांगा कुछ बहुत है रुलाया
सुना है कि तुमने तरक्की कर ली है
हमे तो हमेशा नुकसान है दिखाया
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देखा है कभी चांद को मुस्कराते हुए
मैंने देखा है तुमको खिलखिलाते हुए
पता है तुमको कितने हसीन हो तुम
मुझसे पूछो मेरी सर जमीन हो तुम
तुमसे बिछड़े तो ये हमें मालूम हुआ
बड़े अच्छे लगते थे हमको सताते हुए
तू आईना जब जब देखता होगा
खुद से ज्यादा मुझसे मिलता होगा
अकेले में भी अकेला ना होगा कभी
मेरा ख्याल हर पल साथ चलता होगा
मैं अपनी आँखों से तुझे छूआ करूं
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हर कहानी के दो हैं पहलू, एक तेरा एक मेरा
जग है सबका एक फिर क्यूँ, एक तेरा एक मेरा
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अश्कों के ईंधन से शमा जलती रही सिसक सिसक कर
खुशियो को अपनी बुझा झुलसती रही सिसक सिसक कर-