अहसास:-
जिन्दगी का अहसास तब हुआ जब चाँदी की परत के लबादे से छिपकर, अमूमन सभी मनुष्यों सभी के लिए,
एक अंग का निर्माण किया गया जिसे कहते हैं पेट
और उसी पेट की भूख को मिटाने के लिए सिद्धांत का निर्माण किया गया
जिसे कहते हैं रोजी रोटी, और उसी के लिए मनुष्य को कहा गया कि दिन-रात मेहनत करें,
मनुष्य और करता भी क्या अपने भूख के लिए।
फिर शुरुवात हुई असली संघर्ष कि कहानी
उसका शोषित होना, थक जाना, समय और सपने से,
इस सिद्धांत को सिद्ध करते हुए कहा गया है,
संसाधित ऊर्जा द्वारा सूख जाता है मनुष्य के ये चांदी नुमा परत के ये लबादे।
स्वास्थ्य के खजाने से छीन लिया जाता है इन लबादो को
फिर भी दर्शन कायम है,
न्याय, निष्पक्षता, समानता, आस्था, विश्वास, स्वतंत्रता, ईमानदारी और अच्छे कार्य, सब व्यर्थ हैं!
हकीकत अभी भी बहुत दूर है,
फिर भी अहसास तुरंत आता है,
वो जिंदगी कितनी बेइमान है...!!
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