"कितना मुश्किल था आज में करना??
जो कल - कल कर टालते रहें,,
कितने हसीन पल जी सकते थें,
क्यों सपनों के पीछे -पीछे भागते रहें,,
आज वहीं कल हैं.....मैं हूं,
पर सपना ..... आज भी सपना हैं,,
हम कुछ बेहतर तो कर सकते थें??
जो सपनों के पीछे -पीछे भागते रहें,,
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औरों को खुश करने की सोची नहीं।।
मेरी हर बार सही ही हो,
ऐसा जरूरी... read more
ताकि श्रेय मिल सकें पुरुषों को,
पग पकड़ खींचे गये,
आगे आगे चल ना सकेंगी,
नारी सदैव पीछे रहें,,
पथ कठिन और आडम्बर आये थें उसके हिस्से,
कहने वालों का क्या है? वो कहेंगे अपने किस्से,,
युद्ध स्थल पर सदैव ही रणवीरों का उल्लेख मिला हैं,
कितनी यातना सही नारी कहां स्पष्ट लेख लिखा हैं??
हुआ चौपट का खेल निराला,
युद्धवीर सब मौन खड़े,
यज्ञसेनी थी सब जला करती राख
फिर कहां किसी का भस्म मिले,
एक ममतामई मां को अपने पुत्रो पर मोह आया,
कहां... ठहरो द्रौपति मेरे पुत्रों को इसका श्रेय मिलें,,
युद्ध हुआ, विध्वंस हुआ, विजय पताका भी फहरी,
सब कुछ जीत के भी हार गयी ...
आखिकार जो एक नारी ठहरीं,,
सम्मान के साथ ही एक लांछन नाम आया,
लोग उदाहरण देते हैं....
एक महिला ने पूरा महाभारत कराया,,
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"अब ढूंढना कहां किसी सा हूबहू चाहता हूं??
मिलूं तो कभी खुद से अब कुछ यूं चाहता हूं,,-
ये एक महिना...एक वर्ष सरीखा है,
मत पूछो हमसे...हर पल कैसे बीता हैं,,
हम कितने करीब थे तुम्हारे,
होके तुमसे दूर ये सीखा हैं,,
कितनी रातें जागें हैं.....कितने ख्वाब मारें हैं,,
आज भी देखो तकिया किनारे का गिला हैं,,
कुछ ख्वाब जो पूरे नहीं हुए...
और ना कभी होंगे शायद ,,
जीवन तो अब समझौते में जीना हैं,,
हर सबक से तो सीख लिया था हमने,
फिर क्यों बसर ने दोष ... हमको ही देना हैं??,
हर्फ़ अभी खामोश है....भीतर ही शोर हैं,
कहों कैसे रहेंगे तुम्हारे बेगर.... जीवन क्या ऐसे ही जीना हैं??
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अभी जो कहते हैं.... हर हालात में हैं साथ हम तेरे,
पर कभी यहीं नहीं आयेंगे जरूरत काम ये तेरे,
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"ये कैसी विजयदशमी और कैसा दशहरा,
मनुष्य मन के भीतर जब रावण जिंदा ठहरा ,,-
"बीता हुआ कल
अब कहां खराब लगा,
पहले क्यों नहीं समझ आता
जो आज लगा,
पुराना स्कूल ही देखो जैसे
गुज़रा हसीन ख्वाब लगा,
यह जगह वहीं थी....
जहां कभी रोज़ रोज़ जाना बहुत खराब लगा,,-
" दिया तो तूने मुझे सबकुछ......ऐ खुदा,
पर थोड़ा थोड़ा करके ख्वाहिशें ही कम कर दिया .....ऐ खुदा-
कुछ नहीं,
कोई बात नहीं,
अब सभी से यही कहेंगे,
जब अपना कोई नहीं तो
कहने से पहले हजार दफा सोचेंगे,,-
"जिसने सोचा था तुमको ही हर घड़ी,
कहता है.....अब तुम्हें क्यों सोचेंगा?
और तुम ही सोच के देखो ज़रा!!
तुम्हारे अलावा वह क्या सोचेंगा??,,-