दर्द में भी ये लब..
मुस्कुरा देते हैं,
जब कुछ बीते हुए
पल याद आते हैं।-
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न उम्मीदें रही अब ज़िन्दा..
न ख्वाहिशों से वास्ता रह गया,
निकला था राही मंजिल पाने..
अब ख़ुद ही लापता रह गया ।-
ज़िन्दगी का अफसाना
कुछ ऐसा हो गया...
ख़ुश रहने से ज्यादा,
ख़ुश दिखना जरूरी हो गया
कुछ कहने से ज्यादा,
चुप रहना जरूरी हो गया
अनकही बातें दिल में ही रह गईं
शायद वक्त़ के पास भी
अब वक्त़ न रहा।-
कुछ कहना भी है
कुछ सुनना भी है
शिकायत यही है तुझसे
ऐ ज़िन्दगी कि .....
तुझे जीना भी है।-
तन्हां हूं इस कदर...
न मंजिल है कोई
न है कोई डगर,
आसपास तो सभी है
पर मुझसे है बेखबर
भटकता है ये मन,
ढूंढते हुए ख़ुद को
अश्कों से तर-बतर।-
बातें हो न हो..
ख्यालात ख़त्म नहीं होते,
मुलाक़ातें हो न हो..
जज़्बात ख़त्म नहीं होते,
चाहे बेनाम हो रिश्ते पर..
एहसास ख़त्म नहीं होते।-
No one can guess your feelings.
You told them your feelings,
They take it as a story.-
कुछ छोड़ दिए हैं , कुछ पिरो लिए हैं।
यादों के मोती हमने,
जीवन की माला में सॅंजो लिए हैं।-
न जाने किन गुनाहों की
सज़ा हम काट रहे हैं
न सह पा रहे हैं और...
न ही किसी से बांट रहे हैं।-