अन्तस हृदय भाव अलौकिक,अरु हृदय विदारक विचार
विनती केवल मोहन समक्ष, वही सब साधेंगे हृदय विदार
अर्थ: अन्तस-अंतरात्मा,अलौकिक – असाधारण, दिव्य,अरु-और/तथा, हृदय विदारक–बहुत पीड़ा देने वाले,समक्ष–सामने, विदार-दुख-
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Shila writes…
अन्तस हर्षित हो उठा,सब मोहित सखा पर आज
जन्मदिवस तेरो सही, पर बौराया सकल समाज
कृष्ण जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं-
तिरंगे की शान न घटे कभी, ये जीवन की पहचान,
हर दिल में बसता है भारत, हर साँस में उसका मान।
क़ुर्बानी की नींव पे खड़ा है, ये प्यारा हिंदुस्तान,
आओ मिलकर वचन करें, न होगा इसका अपमान।
देश पहले, बाकी सब बाद में हो अपना विचार,
जय हिंद की गूँज रहे, जब तक धड़कें दिल हर बार।-
सुनो साध लो आरम्भ को जब ,ना पग धरा पर होय ।
कहीं अकारण ही प्रारब्ध बनें,अर पग धरा ही खोय ।।
अर्थ: आरम्भ — शुरुआत।,पग — पैर, धरा — धरती / ज़मीन,
प्रारब्ध — पहले से तय भाग्य (पिछले कर्मों का फल)-
Shila writes……
समय नहीं सुनता किसी की , बहरा वो कहलाये ।
अपनी चाल में चलता रहता, देखत सबको जाये ।।
सुखद बखत में साध लो,अपना अशिष्ट विभाष ।
वरन् असभ्य मानुष का,होता समूल विनाश ।।
अर्थ: चाल — गति, रफ़्तार,बख़्त — समय, भाग्य,अशिष्ट — असभ्य
विभाष — बोलने का ढंग,वरन् — बल्कि,असभ्य — बिना शिष्टाचार वाला,मानुष — मनुष्य,विकट — कठिन, भयानक,समूल — जड़ से
विनाश — पूरी तरह नाश।।-
सोचो ज़रा इस जीवन में जीने से ज़्यादा, मरने के पल आयेंगे ।
उस पल भी हमे जीना होगा,और जिजीविषा की अलख जगाएँगे।।
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जीवन से बढ़कर लगे, मृत्यु घड़ी की पीर।
फिर भी उसमें ढूँढना, जीने की तासीर ।।-
ऐ ज़िन्दगी और कितने तजुर्बे कराएगी
कोई तो अपना रहने दे
या सबके चेहरे से नक़ाब हटाएगी
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विदाई संदेश
हर बात पे करते थे बस टेढ़ी नजर,
बने बनाए डेटा को भी कहते थे गटर,
कभी न किया हमारे साथ लंच का इरादा,
लड़कियों से ही करता रहे सारा वादा
बिना बात के इश्यू, टीम में डालते थे फूट,
अब जा रहे हो तो कहें चलो कट गया ये रूट!
आज सूरज निकला, दौड़ रहा था ख़ुशी का घोड़ा
ईमेल खोलते ही पता चला, चला गया बहन #%₹@? # 😂-
जो पूछ रहा आप से, क्या करते हो आप ।
असल हिसाब लगा रहा,इज़्ज़त दें या श्राप ।।
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